सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:मध्य हिंदी-व्याकरण.djvu/२५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

( २२ ) किम् + चित् = किंचित् वा किञ्चित् ।

सम् + तोप = संतोप वा सन्तोप ।

सम् + पूर्ण = संपूर्ण वा सम्पूर्ण । ५५--म् के आगे अंतस्थ वा ऊष्म वर्ण हो तो म् अनुस्वार में बदल जाता है; जैसे--

किम् + वा= किंवा; सम् + हार = संहार ।

सम् + योग = संयोग; सम् + वाद = संवाद ।

५६--यौगिक* शब्दों में यदि प्रथम शब्द के अंत में न् हो तो उसका लोप होता है; जैसे-- राजन् + प्राज्ञा = राजाज्ञा; हस्तिन् + दंत = इस्तिदंत । प्राणिन् + मात्र = प्राणिमात्र, धनिन् + त्व = धनित्व । (३ ) विसर्ग-संधि ५७--यदि विसर्ग के आगे च वा छ हो तो विसर्ग का . 'श हो जाता है; ट वा ठ हो तो ष; और त वा थ हो तो स् होता है; जैसे--- - निः + चल = निश्चल; धनुः + टंकार = धनुष्टंकार । . . निः+ छिद्र = निश्छिद्र; मनः + ताप = मनस्ताप । ५८--विसर्ग के पश्चात् श, ष वा स आवे तो विसर्ग जैसा का तैसा रहता है अथवा उसके स्थान में आगे का वर्ण हो जाता है; जैसे---- दुः+ शासन = दुःशासन वा दुश्शासन ।

  • दो शब्दों अथवा शब्द और प्रत्यय से मिलकर बने हुए।