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पृष्ठ:मध्य हिंदी-व्याकरण.djvu/२६

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( २३ ) निः+ संदेह = निःसंदेह वा निस्संदेह । ५६-विसर्ग के आगे क, ख वा प, फ आवे तो विसर्ग का कोई विकार नहीं होता, जैसे-- रजः+कण = रजःकण; पयः+पान = पयःपान (हिं०-पयपान) (अ) यदि विसर्ग के पूर्व इ वा उ हो तो क, ख वा प, फ के __ पहले विसर्ग के बदले प होता है; जैसे- निः+कपट = निष्कपट; दुः+कर्म = दुष्कर्म । निः + फल = निष्फल; दुः+प्रकृति = दुष्प्रकृति । ६०-यदि विसर्ग के पूर्व अ हो और आगे घोष-व्यंजन ___ हो तो विसर्ग ( अः) के बदले ओ हो जाता है; जैसे- अधः+गति = अधोगति, मनः + योग = मनोयोग । तेजः + राशि = तेजोराशि; वयः+ वृद्ध = वयोवृद्ध । [सूचना-बनावास और मनोकामना शब्द अशुद्ध हैं। ६१-यदि विसर्ग के पहले अ, आ को छोड़कर और कोई स्वर हो और आगे कोई घोष-वर्ण हो तो विसर्ग के स्थान ___ में र होता है; जैसे- निः+आशा = निराशा; दुः+ उपयोग = दुरुपयोग । । निः+ गुण =निर्गुण; बहिः + मुख = बहिर्मुख । (अ) यदि र के श्रागे र हो तो र कालोप हो जाता है और उसके 'पूर्व का ह्रस्व स्वर दीर्घ कर दिया जाता है; जैसे- निः + रस = नीरस; निः+ रोग = नीरोग ।