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पृष्ठ:मध्य हिंदी-व्याकरण.djvu/३४

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७७ -- पदार्थवाचक संज्ञा के दो भेद हैं -- (१) व्यक्ति- वाचक और (२) जातिवाचक।

७८ -- जिस संज्ञा से एक ही पदार्थ वा पदार्थों के एक ही समूह का बोध होता है, उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं; जैसे, राम, काशी, गंगा, महामंडल, हितकारिणी।

'राम' कहने से केवल एक ही व्यक्ति (अकेले मनुष्य) का बोध होता है; प्रत्येक मनुष्य को 'राम' नहीं कह सकते। यदि हम 'राम' को देवता माने तो भी 'राम' एक ही देवता का नाम है। इसी प्रकार 'काशी' कहने से इस नाम के एक ही नगर का बोध होता है। यदि 'काशी' किसी स्त्री का नाम हो तो भी इस नाम से उस एक ही स्त्री का बोध होगा। नदियों में 'गंगा' एक ही व्यक्ति (अकेली नदी) का नाम है; यह नाम किसी दूसरी नदी का नहीं हो सकता। 'महामंडल' लोगों के एक ही समूह (सभा) का नाम है, इस नाम से कोई दूसरा समूह सूचित नहीं होता। इसी प्रकार 'हितकारिणी' कहने से एक अकेले समूह (व्यक्ति) का बोध होता है। इसलिए राम, काशी, गंगा, महामंडल, हितकारिणी व्यक्तिवाचक संज्ञाएँ हैं।

७९ -- जिस संज्ञा से संपूर्ण पदार्थो वा उनके समूहों का बोध होता है, उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं; जैसे, मनुष्य, घर, पहाड़, नदी, सभा।

'हिमालय, विन्ध्याचल, नीलगिरि और आबू एक दूसरे से भिन्न हैं, क्योंकि वे अलग अलग व्यक्ति हैं; परंतु वे एक मुख्य धर्म में समान हैं, अर्थात् वे धरती के बहुत ऊँचे भाग हैं। इस सधर्मता के कारण