पृष्ठ:मध्य हिंदी-व्याकरण.djvu/३७

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( ३४ ) ८६-विशेषण कभी कभी संज्ञा के स्थान में आता है; जैसे, _ "इसके बड़ों का यह संकल्प है।" "छोटे बड़े न है सके।" ८७-कोई कोई क्रिया-विशेषण संज्ञाओं के समान उपयोग में आते हैं; जैसे, "जिसका भीतर-बाहर एक सा हो।" "हाँ में हाँ मिलाना ।” “यहाँ को भूमि अच्छी है।" ८८-कभी कभी विस्मयादिबोधक शब्द संज्ञा के समान प्रयुक्त होता है; जैसे, "वहाँ हाय हाय मची है।" "उनकी बड़ी वाह वाह हुई।" ८६-कोई शब्द वा अक्षर केवल उसी शब्द वा अक्षर के अर्थ में संज्ञा के समान उपयोग में आ सकता है; जैसे, "मैं" सर्वनाम है। तुम्हारे लेख में कई बार "फिर" आया है। "का" में "प्रा” की मात्रा मिली है। "क्ष" संयुक्त अक्षर है। दूसरा अध्याय सर्वनाम . ६०-सर्वनाम उस विकारी शब्द को कहते हैं जो प्रसंग __ के अनुसार किसी संज्ञा के बदले उपयोग में आता है; जैसे, मैं ( बोलनेवाला ), तू (सुननेवाला ), यह ( निकटवर्ती वस्तु), . __वह ( दूरवर्ती वस्तु ), इत्यादि। ६१-हिंदी में सब मिलाकर ११ सर्वनाम हैं-मैं, तू, आप, यह, वह, सो, जो, कोई, कुछ, कौन, क्या। ।