आप आया था”-इस वाक्य में "आप" शब्द विशेषण नहीं है, किंतु "लड़का” का समानाधिकरण शब्द है।
१२५–सार्वनामिक विशेषण व्युत्पत्ति के अनुसार दो प्रकार के होते हैं ।
(१) मूल सर्वनाम, जो बिना किसी रूपांतर के संज्ञा के साथ पाते हैं; जैसे, यह घर, वह लड़का, कोई नौकर, कुछ काम ।
(२) यौगिक सर्वनाम, जो मूल सर्वनाम में प्रत्यय लगाने से बनते हैं और संज्ञा के साथ श्राते हैं; जैसे, ऐसा श्रादमी, कैसा घर, उतना काम, जैसा देश, वैसा भेप ।
१२६-मूल सार्वनामिक विशेषणों का अर्थ बहुधा सर्व- ' नामों ही के समान होता है; परंतु कहीं कहीं उनमें कुछ विशेषता भी पाई जाती है।
(अ) "वह" "एक" के साथ आकर अनिश्चय-वाचक होता है; जैसे, "वह एक मनिहारिन आगई थी।"
. (आ) "कौन" और "कोई" प्राणी, पदार्थ वा धर्म के नाम के साथ आते हैं; जैसे, कौन मनुष्य ? कौन जानवर ? कौन कपड़ा ? कौन बात ? कोई मनुष्य, कोई जानवर, कोई कपड़ा, कोई बात । निश्चय के अर्थ में इनके साथ 'सा' प्रत्यय जोड़ा जाता है।
(इ) आश्चर्य में "क्या" प्राणी, पदार्थ या धर्म तीनों नाम के साथ आता है; जैसे, "तुम भी क्या आदमी हो !” . “यह क्यालकड़ी है ?" "क्या बात है !"