सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:मध्य हिंदी-व्याकरण.djvu/५७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
(५४)

( ५४ ) (ई) "कुछ" संख्या, परिमाण और अनिश्चय का बोधक है। ( संख्या और परिमाण के प्रयोग आगे लिखे जायेंगे।) अनिश्चय के अर्थ में "कुछ" बहुधा भाववाचक संज्ञाओं के . साथ आता है; जैसे, कुछ बात, कुछ डर, कुछ विचार, कुछ उपाय ।

१२७-यौगिक सार्वनामिक विशेषणों के साथ जब विशेष्य नहीं रहता, तब उनका प्रयोग बहुधा सर्वनामों के समान होता है; जैसे, "इतने में ऐसा हुआ”, “जैसा करोगे वैसा पाओगे"। "जैसे को वैसा मिले"।

(अ) "ऐसा" का प्रयोग कभी कभी "यह" के समान वाक्य के बदले में होता है; जैसे, "ऐसा कब हो सकता है कि मुझे भी दोप लगे।"

१२८-यौगिक संबंध-वाचक (सार्वनामिक ) विशेषणों के साथ बहुधा उनके नित्य-संबंधी विशेषण आते हैं; जैसे, "जैसा देश वैसा भेष ।” '"जितनी चादर देखो उतना 'पैर फैलाओ।"

(अ) बहुधा किसी एक विशेषण के विशेष्य का लोप हो' जाता है; जैसे, "जितना मैंने दान दिया उतना तो कभी किसी के ध्यान में न आया होगा।" "जैसी बात आप कहते हैं वैसी कोई न कहेगा।"

. (आ) कभी कभी "जैसा” और “ऐसा" का उपयोग "समान" ( संबंधसूचक) के सदृश होता है; जैसे, "प्रवाह