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पृष्ठ:मध्य हिंदी-व्याकरण.djvu/६५

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(श्रा) "दो" से "दोन" बनता है। 'एक' का समुदाय-वाचक रूप "अकेला" है। "दोनों" का प्रयोग बहुधा सर्वनाम के समान होता है; जैसे, "दुविधा में दोनों गये माया मिली न राम ।" "अकेला" कभी कभी क्रिया-विशेषण के समान पाता है; जैसे, "विपिन अकेलि फिरहु केहि हेतू ।" ' (इ) कभी कभी समुदायवाचक विशेषण की द्विरुक्ति भी होती है; जैसे, "पाँचों के पाँचों श्रादमी चले गये।" "दोनों के दोनों लड़के मूर्ख निकले।" ___ १५३–प्रत्येक-बोधक विशेषण से कई वस्तुओं में से प्रत्येक का बोध होता है; जैसे, "हर घड़ी", "हर एक आदमी," "प्रति जन्म”, “प्रत्येक बालक", "हर पाठवें दिन" [सूचना-हर और प्रति का उपयोग बहुधा उपसर्गों के समान होता है। (अ) गणना-वाचक विशेषणों की द्विरुक्ति से भी यही अर्थ निकलता है; जैसे, “एक-एक लड़के को आधा-आधा फल मिला।" "दवा दो-दो घंटे के बाद दी जाय।" . (२) अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण . १५४-जिस संख्या-वाचक विशेषण से किसी निश्चित संख्या का बोध नहीं होता, उसे अनिश्चित संख्यावाचक विशेषणा कहते हैं, जैसे, एक, दूसरा (अन्य, और), सब (सर्व, सकल. समस्त, कुल), बहुत (अनेक, कई, नाना), अधिक (ज्यादा), कम, कुछ, आदि ( इत्यादि, वगैरह ), अमुक (फलाना), कै।