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पृष्ठ:मध्य हिंदी-व्याकरण.djvu/७९

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दू० ० मू० धा० प.प्रे. डूबना दुबाना दुब्रवाना भीगन्दा भिगाना भिगवाना लेटना लिटाना लिटवाना (आ) तीन अक्षर के धातु में पहले प्रेरणार्थक के दूसरे अक्षर का "अ" अनुच्चरित रहता है; जैसे, चमक-ना चमका-ना चमकवा-ना पिघल-ना पिघला-ना पिघलवा-ना बदल-ना बदला-ना बदलवा-ना समझ-ना ससमा-ना समझवा-ना २-एकाक्षरी धातु के अंत में “ला” और “लवा” लगाते हैं और दीर्घ स्वर को ह्रस्व कर देते हैं; जैसे, खाना खिलाना खिलवाना छूना छुलाना छुलवाना देना दिलाना दिलवाना धोना धुलाना धुलवाना पीना पिलाना पिलवाना सीना सिलाना सिलाना ३-कुछ सकर्मक धातुओं से केवल दूसरे प्रेरणार्थक रूप (१-अ नियम के अनुसार ) बनते हैं । जैसे-गाना- गवाना, खेना-खिवाना, खाना-खोआना, बोना-बोआना, • लेना-लिवाना।