( ७८ ) कटना-काटना पिसना-पीसना दबना-दावना लुटना-लूटना बंधना-बांधना मरना-मारना २-तीन अक्षरों के धातु में दूसरे अक्षर का स्वर दीर्घ होता है; जैसे, निकलना-निकालना उखड़ना-उखाड़ना सम्हलना-सम्हालना बिगड़ना-बिगाड़ना ३-किसी किसी धातु के आद्य इ वा उ को गुण करने से; जैसे, फिरना-फेरना खुलना-खोलना दिखना-देखना घुलना-घोलना छिदना-छेदना मुड़ना-मोढ़ना (अ) कई धातुओं के अंत्य ट के स्थान में ड हो जाता है; जैसे, जुटना—जोड़ना टूटना-तोड़ना छूटना-छोड़ना फटना-फाड़ना फूटना-फोड़ना (२) नाम-धातु १७७-धातु को छोड़ दूसरे शब्दों में प्रत्यय जोड़ने से जो धातु बनाये जाते हैं उन्हें नाम-धातु कहते हैं। ये संज्ञा वा विशेषण के अंत में “ना” जोड़ने से बनते हैं। (अ) संस्कृत शब्दों से; जैसे, उद्धार-उद्धारना, स्वीकार- स्वीकारना, धिक्कार-धिकारना, अनुराग–अनुरागना। . [सूचना-इस प्रकार के शब्द कभी कभी कविता में आते हैं।] ।
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