पृष्ठ:मध्य हिंदी-व्याकरण.djvu/९०

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. में-संक्षेप में, इतने में, अंत में । का-सबेरे का, कब का । तक-प्राज तक, यहाँ तक, रात तक, घर तक । का, करके-दौड़कर, उठकर, देख करके, विशेष करके, बहुत करके, क्योंकर । भर-रातभर, पलभर, दिनभर । ( अ ) नीचे लिखे प्रत्ययों वा शब्दों से सार्वनामिक क्रिया-विशेषण बनते हैं- ए-ऐसे, कैसे, जैसे, वैसे, तैसे । हीं-यहाँ, कहाँ, जौ, तहाँ । धर-इधर, उधर, जिधर, तिधर । यो-यों, त्यों, ज्यों, क्यों। . लिए-इसलिए, जिसलिए, किसलिए । ब-अब, तब, कत्र, जब । (३) उर्दू क्रिया-विशेषण 'अन-ज़बरन, फौरन, मसलन । दूसरा अध्याय - संबंधसूचक १६३-जो अव्यय संज्ञा ( अथवा संज्ञा के समान उप- योग में आनेवाले शब्द ) के बहुधा आगे आकर उसका संबंध