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पृष्ठ:मध्य हिंदी-व्याकरण.djvu/९६

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२०४-समुच्चय-बोधक अव्ययों के मुख्य दो भेद हैं(१) समानाधिकरण और ( २ ) व्यधिकरण । २०५---जिन अव्ययों के द्वारा मुख्य वाक्य जोड़े जाते हैं, उन्हें समानाधिकरण समुच्चय-बोधक कहते हैं। इनके चार उपभेद हैं (अ) संयोजक-और, व, तथा, एवं । इनके द्वारा दो वा अधिक मुख्य वाक्यों का संग्रह होता है; जैसे, "बिल्ली केकते हैं और उनमें नख होते हैं।" -इस शब्द के सर्वनाम, विशेषण और क्रिया-विशेषण होने पहले दिये जा चुके हैं। (अं०-१५४, १५५, १६०)। 'व-यह उर्दू शब्द "और" का पर्यायवाचक है। इसका प्रयोग "धा शिष्ट लेखक नहीं करते, क्योंकि वाक्यों के बीच में इसका उच्चारख कठिनाई से होता है । इस "व" में और संस्कृत "वा' में, जिसका अर्थ "व" का उलटा है, बहुधा गड़बड़े और भ्रम भी हो जाता है। तथा इसका प्रयोग बहुधा "और" के अंर्थ में होता है; जैसे. "पहले पहल वहाँ भी अनेक क्रूर तथा भयानक उपचार किये जाते थे।" इसका अधिकतर प्रयोग "और" शब्द की द्विरुक्ति का निवारण करने के लिए होता है। (आ) विभाजक-या, वा, अथवा, किंवा, या-या, चाहे-चाहे, क्या-क्या, न--न, न कि, नहीं तो। इन अव्ययों से दो या अधिक वाक्यों वा शब्दों में से किसी एक का ग्रहण अथवा दोनों का त्याग होता है। . . फा. ७