पृष्ठ:मनुस्मृति.pdf/३५

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मनुस्मृति म०११ (३२) भापानुवाद । के कुलख होने आदि लक्षण ब्रह्माइत्यादि महापातक और अन्य कर्म जो महापातक के समान है गोवधादि उपपातकों को गणना जाति भ्रन्शकर धर्म सहरीकरण, अपात्री करण, मतिनीकरण कर्म ब्रह्महत्या के प्रायश्चित्तों के भेद ७१-८६ भ्रूणहत्या यजमानवध में यही प्रवाहत्या का प्रायश्चित्त, जान कर ब्रह्म हत्या करनेका उपाय नहीं मधपान का प्रायश्चित्त, मध की निन्दा, मय के भेद मद्य मासादि यक्षरक्षपिशाचान है, मद्यपानको हानिये ८७-९८ सुवर्ण की चोरी उसके दण्ड प्रायश्चित्तादि ११-०९ गुरुपक्षीगामी के प्रायश्चित्त नप आदि १०३-१०६ उपपानकियों के प्रायश्चित्त, गोवध प्रायश्चित्त १०७-११६ अन्यों को भी गोवध का प्रायश्चित्त, ब्रह्मचर्य नष्ट करने वाले और जाति घंशकर कर्म का प्रायश्चिम ११७-१२४ सङ्करीकरण और अपात्रीकरण तथा मालनी करण के प्रायश्चित्त, अन्य वर्णों के वध में ब्रह्महत्या की अपेक्षा अश न्यून प्रायश्चित इत्यादि माजगदि के वर्षों में प्रायश्चित भेद अमक्ष्य मक्षण के प्रायश्चित, वारणी मदिरापान प्रायश्चित १४५-१५० पुना संस्कार में क्या २ काम प्रथम सरकार से अमोज्यों के अन्न, उच्छिष्ट माल वा अन्य अभक्ष्य