पृष्ठ:मनुस्मृति.pdf/६

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मनु विषयमन्त्री १०२ भृगु का कथन कि यह शास्त्र मनु ने बनाया और इस के पढ़ने का अधिकार और फन" प्रक्षिप्त १०२.१०७ माचार की प्रशंसा १००-११० "मनुस्मृति का संक्षिम सूचीपत्र* प्रक्षिम द्वितीयाध्याय में- धर्मोपदेश की प्रतिमा १ सकामना, निष्कामता का विवेक २-५ वेत.स्मृति, शोज, आत्मय का धर्म में प्रमाण ६ "भृगु वचन से वेद प्रशंसा' प्रक्षिप्त धति, स्मृति में कई धर्म को प्रामा, न माननेको निन्दा ८-१३ ध्रुनि ध में दोनों की प्रमाणना यहाँ दो लोक विशेप पुस्तको में मिले है इन शास्त्र में गर्मायानादित कर्म धर्म का हा वर्ग १६ आर्यावर्त की उत्तर दक्षिण सीमा 'सदाचार का लक्षण १८ एक अधिक लोक मेधातिथि के माय सेमिना ब्रह्मपि देश की सीमा इसी दंग के ब्राह्मणों मे सब देश के लोग पढ़े २७ मध्य देश की सीमा आर्यावर्त की पूर्व-पश्चिम सीमा या योग्य देश का लक्षण ऊपर के पवित्र देगों में द्विजों को घास करना चाहिये वर्णधर्म वर्णन की प्रतिमा संस्कारों की प्रशंमा और आवश्यकता तथा फन २३ २४