पृष्ठ:मनुस्मृति.pdf/८

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मनु विषयसूची अ०२ वेदेपकरणादि में अनध्याय नहीं १०५-१०६ स्वाध्याय का फल समारीन नक अत्याज्य कर्म १०७-100 आचार्यपुत्रादि । धर्मानुसार पढाने चाहिये १०६ पठन पाठन वा उपदेश में नियम ११-१॥ लौकिक वा वैदिक विद्या दाता को प्रथम प्रणाम करे वेदपाठी अश्मण्य से अल्पज्ञ कर्मनिष्ठ की प्रशमा षडॉ पी शय्यासनावि पर न बैठे इत्यादि बड़ो को प्रत्युत्थान की आवश्यकता १२० मभिवादन का फन्न प्रकार न जानने की निन्दा, प्रत्याभवादन का विधान १२१-१२६ ब्राह्मणादि से कुशलादि भिन्न २ शब्दों से प्रश्नमेद दाक्षित का नाम लेकर सम्माषण न करे परपत्नी, मामा, चाचा आदि सम्बन्धियों से अभिवादनादि में विशेष १२७-१३ पुरवासी आदि से कैसे व्यवहार माने १३४ - ब्राह्मण की आयु थोडी होने पर भी उसना धन, बन्धु, मायु, कर्म, विद्या के कारण मान्य भेद १३६-१३७ कौन किसको मार्ग छोडे १३८१३६ भाचार्य, उपाध्याय, गुरु, ऋत्विज के लक्षण १४०-१४३ गुरु से द्रोह न करे धाचार्य, पिता. माता भादि में उम्बना "भाङ्गिरम कवि ने पितरों को अज्ञानी होने से पढाया और पुत्र कहा". जान से वृद्धता होती है न कि मायु आदि से १५३-१५४ प्रामणादि भिन्न वर्गों में मित्र २ कारण से बड़प्पन है १५५