पृष्ठ:मरी-खाली की हाय.djvu/११५

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( १०६) यह सौभाग्य कभी नसीब होता है ? जाओ बेटे ! कुछ चिन्ता नहीं, पर यह छाती में दर्द कैमा हुआ ! जैसे किसीने बी मारी हो । जरा मुझे बैठने दो। ओफ ! आँखों में अन्धेरा आ गया कुछ सुनाई नहीं देता, क्या बेटा बहुत दूर निकल गया । जाने दो अच्छा तुम सब मेरे पास आओ, धीरज से मेरी बात सुनो । वह तो गया हो ? अब तुम लोग होशियारी से घर सम्हालना, जिस से उसकी मा को कष्ट न हो, जिससे कुल की कान न डूबे । बेटा लौटकर दुखी न हो- और सुनो-जरा नजदीक श्राजाओ। देखो-देखो' ओफ- कुछ याद नहीं आता "ये इतने लोग कौन चिल्ला रहे हैं ?- सुनो हाँ-देखो उसे, बेटे को यह खबर मत पहुँचना-ज "य" विश्वम्भर