पृष्ठ:मरी-खाली की हाय.djvu/१८५

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1 आयो !!! आयो- हे भारत के अन्तिम योद्धा आओ अब तुम आओ। तपको त्यागो, कर्म योग के बन्धन में बंध जाओ। आओ योगी धर्म धुरंधर ? आओ-श्राओ-आओ। रहे सहे फन्दों से अब भारत का पिण्ड छुड़ानो। आओ- लाल तिलक की लाली सब बह गई समय के नद में रोली रोली जी भरकर अब कहाँ विचारी भटके। प्राण हमारे बीच मार्ग में पड़े हुए हैं अटके । बना खेल सब विगड़ जायगा, जो तुम थोड़े अटके । आओ- श्रो भविष्य के महापुरुष, अब आओ आओ आओ। छकड़ा भरा शान्ति मय आदर साथ लाद कर लाओ। टूटे हुऐ तार आशा के आकर शीघ्र जुड़ाओ । बुढिया मा का महा पुण्य आसीस लूट ले जाओ। ISOLONELA