पृष्ठ:मरी-खाली की हाय.djvu/१८६

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(१७७ ) आयो- जरा ठहर. कर आना, पर कुछ आश्वासन तो मजो । थाती पड़ी अरक्षित है अब इसका जरा लहे जो । समय चूकने पर उठने का कुछ न प्रतिफल होगा। प्यासा प्यासा मर जायेगा-फिर आकर क्या होगा। आशो- हे भारत के भूषण त्यागी ! त्याग त्याग कर आयो । शान्ति पन्थ को तजो, हमारी पहिले 'आग बुझाओ । धर्म करो, सद्धर्म योग-बस यही प्रथम अज़माओ । हमें मार्ग से उठा गोद में-मंजिल पर पहुँचाओ । प्रायो आर्य रक्त से कालेपन का धब्या शीघ्र छुड़ादो। कुलबालाओं का विदेश में कुलीपना छुड़वादो । मरी हया को रोम २ में से जीवित करवा दो। जीने मरने के सुन्दर ढंग हमको जरा यता दो। प्रायो- युवक जनों की अक्षय मंगल मूरति बनकर आओ 1 शुद्ध दुधारे बच्चों का आरोग्य साथ में लाओ। पति हीना. सतियों को थोड़ी शान्ति संग में लाओ। चिरताप सन्तप्त बुजुर्गों को . आधीर बँधाओ।