पृष्ठ:मरी-खाली की हाय.djvu/१८८

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श्रमी जनों के लिये मान सम्मान और सुख लाना । वीर सिपाही लोगों को लोकोत्तर आदर लाना । शिल्पकार मण्डलको सब से उत्तम गौरव लाना। धूल जरा सी इन कुरीतियों के दुर्मुख को लाना। पाओ--- अटल छत्र माता को सुन्दर साथ गढ़ा कर लाओ। सिंहासन के लिये शुभ आसन सिलवाकर लाओ। रमा भारती को माता की सखी बना कर लाओ। जो कुछ लाओ देख भाल कर शुद्ध स्वदेशी लाओ। प्रायो- सब कुछ लाना किन्तु युद्ध विग्रह कुछ भी मत लाना। रक्त पात से शान्ति और सुख को मत रंग रंगाना । शुद्ध क्षमा को यश का धौला उपाधान पहनाना। सहन शीतता से खस के दो पंखे लेते आना। आओ- दिव्यदिशा के महापुरुष, अब आश्रो-आओ-आयो- यतन करो कुछ अपना, हमको ऊपरजरा उठाओ। पुण्यकरो पुण्यार्थ मनस्वी ! थोड़ा कष्ट उठाओ। हमें बचानो, खुद सुख पाओ, माता को हर्षायों।