पृष्ठ:मरी-खाली की हाय.djvu/१८७

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( १७८ ) आयो- भोले बच्चों का कुल्टा शिक्षा से पिण्ड छुड़ादो । अपने पन की खरी २ यह चाल इन्हें बतलादो। काय बचन मन से हिन्सा की भीषण आग बु कादो। खुली. बुहारी एक सत में कस कर नाथ, बधा दो। माओ- हे दुखिया के जीवन धन ! तत्काल यहाँ पर आयो । विषम घाव पर ठएडा मरहम पाकर स्वयं लगाओ। महा मनस्वी ! महा योग का फल हम को दिखलाओ। मुझोई मन को कलि ओं को जरा २ विकसानो आओ- नवजीवन से चार करो तन मन में नूतन बल दो। रक्षा में रुचि दो, मरने में कुछ थोड़ा साहस दो। सामाजिकता समझ सकें कुछ ऐसी खरी अकल दो। कठिन समय में स्वार्थ त्याग करने का भीतर बल दी। आयो कान पकड़ कर विप्रजनों को अब विद्वान बनाओ। मार २ कर रजपूतों को क्षत्रिय धर्म सिखायो। कड़ी मलामत दे वैश्यों को सच्चे वैश्य बनाओ। हृदय लगा शूद्रों को टूटे हुए हृदय जुड़वाओ। 1