( ७१ .) एशिया और थोरोप मिलकर २० पश्चिम रेखांश से पूर्व की ओर १६० रेखांश तक यानी २१० रेखांश लम्बाई का, और दक्षिणोत्तर भूमध्य रेखांश से उत्तर की ओर ७० अक्षांश चौड़ाई का एक प्रचण्ड भूमिखंड दिखाई पड़ता है । वास्तव में योरोप, अमेरिका, आस्ट्रेलिया और अफ्रीका के समान कोई अलग भूखण्ड नहीं, प्रत्युत एशिया ही का पश्चिम की ओर बढ़ा हुआ एक खंड है । जिस प्रकार एशिया के दक्षिण में अरब, भारत और मलाया समुद्र में घुसे हुए प्राय द्वीप हैं, वैसे ही पश्चिम की ओर योरोप भी प्रायद्वीप है। एशिया, अफ्रीका, आस्ट्रेलिया और अमेरिका, इन भूखण्डों में बहुत प्राचीन काल से मनुष्य की आबादी का पता चलता है । परन्तु योरोप की आबादी २२-३ हजार वर्ष से अधिक पुरानी नहीं है । उसका रकबा भी एशिया के एक मामूली देश के पराबर है, परन्तु वह जल प्रलय, भूडोल और ज्वालामुखी आदि भौतिक उत्पातों से बना और एशिया से पश्चिम की ओर गये हुए आर्य और तूरानी आक्रमणकारियों से बसा हुआ है । इससे पूर्वीय भूखंड में इतनी विचित्रता, इतनी उधेड़ बुन और इतनी गड़बड़ बनी रही है कि संसार के इतिहास में १० में से ६ पृष्ठ इन्हीं से भर गये हैं । इस विचित्र देश के छोटे २ राष्ट्रों में पृथ्वी भर के मनुष्यों के अधिभौतिक और आध्यात्मिक जीवन को पल.
पृष्ठ:मरी-खाली की हाय.djvu/८०
दिखावट