पृष्ठ:मरी-खाली की हाय.djvu/८६

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(७ बोल्शेविक नहीं है ?” कैदियों ने एक स्वर होकर जबाब दिया "हम सब बोल्शेविक हैं।" जेनरल पूरी ऊँचाई से अपने घोड़े पर तनक कर बैठ गया। उसने उन खुदी हुई कबरों को, कैदियों के नंगे शरीरों को और फिर उस सन्नाटे की रात को एक बार आँख भरके देखा। उसके बाद उसकी दृष्टि अपने सैनिकों की ओर घूमी । उसने सैनिकों को संकेत किया। सैकड़ों बन्दूकें गर्ज उठीं। उस चाँदनी रात में उस भयानक शीत में खड़े हुए वे २०० नरवर जिनके शरीर से खून के फव्वारे बहने लगे थे, अपनी खोदी हुई कबरों में झुक गए । सेनापति की आज्ञा से सेना ने आगे बढ़ कर उन्हें ठीकर मार कर कबरों में ढकेल दिया और जल्दी २ उन पर मिट्टी डाल दी गई। उनमें से बहुत से लोग अभी जीवित थे और जीवित ही जमीन में दफन कर दिये गये थे। इसके कुछ ही दिन बाद तख्ता उलट चुका था। पिट्रोप्रेड से २००० मील दूर साईबेरिया प्रदेश में टोबोलस्क में २२ अप्रैल १९२२ को लगभग १० बजे दिन को एक अद्भुत और वीर सरदार धीरे २ घुसा। उसके साथ १५० चुने हुए घुड़सवार थे. । नगर वासियों ने देख कर परस्पर संकेत में बातें की पर "कौन और क्यों ?" इसका हाल कोई नहीं जानता था ।