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पृष्ठ:मरी-खाली की हाय.djvu/८९

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( 50 बढ़ाये और अपनी संगीन उसके कोमल सोने में भोंक दी। उस कमरे की दीवारें रक्त और मांस के छीछड़ों से भर गई थी। प्रातःकाल चद्दरें लाई गई। उनमें मुर्दे लपेटे गये और बाहर खड़ी हुई मोटर लारी में डाल दिये गये। ये मुर्दे जंगल में ले जाये गये। वहाँ उन्हें जला दिया गया जिससे उनके प्रेत का मी अस्तित्व न रहे इस प्रकार शताब्दियों का आत्याचारी सम्राट अनंत में मिल गया और जनता ने उसे खून नहीं जन कल्याण के साधक यज्ञ की आहुति बनाया। .