पृष्ठ:महात्मा शेख़सादी.djvu/१५

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नहीं है। यदि तुम्हारा जी चाहे तो इन वस्तुओं को लेजाओ, लेकिन कृपा करके इनका दुरुपयोग मत करना; किसी गरीब विद्यार्थी को दे देना। सादी के इस कथन का यह असर हुआ कि डाकू लज्जित हो गये और सदैव के लिए उन्होंने इस कुमार्ग को छोड़ने का संकल्प कर लिया। उनमें से दो आदमी सादी की रक्षा के लिए साथ चले। सद्‌व्यवहार में कितना प्रभाव है, यह इस घटना से भली भांति प्रमाणित होजाता है। लेकिन ईश्वर को स्वीकार था कि इस यात्रा में सादी को ईश्वरीय न्याय और दण्ड का अनुभव हो जाय। उसके दोनों साथियों में से एक को तो सांप ने काट खाया और दूसरा एक पेड़ पर से गिर कर मर गया। दोनों ने बड़े कष्ट से एड़ियां रगड़ कर जान दी। उनके जीवन के इस दुष्परिणाम ने सादी के हृदय पर गहरा असर डाला और उसने निश्चय कर लिया कि कभी किसी को कष्ट न दूंगा और यथासाध्य दूसरों के साथ दया का व्यवहार करूंगा।

बुग़दाद उस समय तुर्क साम्‌राज्य की राजधानी था। मुसलमानों ने बसरा से लेकर यूनान तक विजय प्राप्त कर ली थी और सम्पूर्ण एशिया ही में नहीं, यूरुप में भी उनका सा वैभवशाली और कोई राज्य नहीं था। इसी समृद्धिशाली राज्य का निवासस्थान था। राजा विक्रमादित्य के समय में उज्जैन की और मौर्य्यवंश