सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:महात्मा शेख़सादी.djvu/१७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
(१२)

'निज़ामियां' मदरसे की ख्याति दूर दूर तक फैली हुई थी। सादी ने इसी मदरसे में प्रवेश किया। यह निश्चय नहीं है कि वह कितने दिनों बुग़दाद में रहा। लेकिन उसके लेखों से ज्ञात होता है कि वहां []*फ़िक़ह, हदीस आदि के अतिरिक्त उसने विज्ञान, गणित, खगोल, भूगोल, इतिहास आदि विषयों का अच्छी तरह अध्ययन किया और "अल्लामा" की सनद प्राप्त की। इतने गहन विषयों में सिद्धहस्त होने के लिए सादी को १० वर्षों से कम न लगे होंगे।

काल की गति विचित्र है। सादी ने बुग़दाद से जब प्रस्थान किया तो उस समय उस नगर पर लक्ष्मी और सरस्वती दोनों ही की कृपा थी। लेकिन लगभग पचास वर्ष के पश्चात् उसने उसी समृद्धि-शाली नगर को हलाकू खां के हाथो नष्टभ्रष्ट होते देखा और अन्तिम् ख़लीफ़ा जिसके दर्बार में बड़े बड़े राजा और रईसों की भी मुश्किल से पहुंच होती थी बड़े अपमान और क्रूरता के साथ मारा गया।

सादी के हृदय पर इस घोर विप्लव का ऐसा प्रभाव पड़ा कि उसने अपने लेखों में बारम्बार राजाओं को नीति की रक्षा, प्रजापालन, तथा न्यायपरता का उपदेश दिया है। उसका विचार था, और उसके यथार्थ


  1. * फिकह—धर्मशास्त्र। हदीस—पुराण।