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पृष्ठ:महात्मा शेख़सादी.djvu/२८

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चौथा अध्याय

सादी का शीराज़ में पुनरागमन

तीस चालीस साल तक भ्रमण करने के बाद सादी को जन्मभूमि का स्मरण हुआ। जिस समय वह शीराज़ से चले थे, वहाँ अशान्ति फैली हुई थी। कुछ तो इस कुदशा, और कुछ विद्यालय की इच्छा से प्रेरित होकर सादी ने देशत्याग किया था। लेकिन अब शीराज़ की वह दशा न थी। साद विन-ज़ंगी की मृत्यु होचुकी थी और उसका बेटा अताबक अबूबक्र राज्यगद्दी पर था। यह एक न्यायप्रिय, राज्य-कार्य-कुशल राजा था। उसके सुशासन ने देश की बिगड़ी हुई अवस्था को बहुत कुछ सुधार दिया था। सादी संसार को ख़ूब देख चुके थे। अवस्था भी वह आ पहुंची थी जब मनुष्य को एकान्तवास की इच्छा होने लगती है, और सांसारिक झगड़ों से मन उदासीन होजाता है। अतएव अनुमान कहता है कि ६५ या ७० वर्ष की अवस्था में सादी शीराज़ आये। यहाँ समाज और राजा दोनों ही ने उनका उचित आदर किया। लेकिन सादी अधिकतर एकान्तवास ही में रहते थे। राजदरबार में बहुत कम आते जाते। समाज से भी