पृष्ठ:महात्मा शेख़सादी.djvu/४४

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और तुम ज्यों के त्यों रह गये। उसने उत्तर दिया ईश्वर ने मुझ पर विशेष कृपा की है, क्योंकि मुझ को विद्या दी जो देव दुर्लभ पदार्थ है और तुम को मिश्र की उस गद्दी का मन्त्री बनाया जो [१]*फिरऊन की थी।


ईरान के बादशाह बहमन के सँबन्ध में कहा जाता है कि उसने अरब के एक हकीम से पूछा कि नित्य कितना भोजन करना चाहिये। हकीम ने उत्तर दिया, २९ तोले। बादशाह बोला भला, इतने से क्या होगा। उत्तर मिला, इतने आहार से तुम ज़िन्दा रह सकते हो। इसके उपरान्त जो कुछ खाते हो वह बोझ है जो तुम व्यर्थ अपने ऊपर लादते हो।

एक मनुष्य पर किसी बनिये के कुछ रुपये चढ़ गये थे। वह उससे प्रतिदिन माँगा करता और कड़ी कड़ी बातें कहता। बेचारा सुन सुन कर दुःखी होता था, सहने के सिवा कोई दूसरा उपाय न था। एक चतुर ने यह कौतुक देख कर कहा इच्छाओं का टालना इतना कठिन नहीं है जितना बनियों को। क़साइयों के तगादे सहने की अपेक्षा माँस की अभिलाषा में मरजाना कहीं अच्छा है।



  1. *मित्र का एक अभिमानी बादशाह था जिसे मूसा नबी ने नील नदी में डुबा दिया।