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पृष्ठ:महात्मा शेख़सादी.djvu/६१

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से विदित होता है कि सादी की नीतिशिक्षा कितनी विस्तीर्ण है— प्रथम अध्याय द्वितीय ,

प्रथम अध्याय न्याय और राजनीति
द्वितीय अध्याय दया
तृतीय अध्याय प्रेम
चतुर्थ अध्याय विनय
पञ्चम अध्याय धैर्य्य
षष्ठ अध्याय सन्तोष
सप्तम अध्याय शिक्षा
अष्टम अध्याय कृतज्ञता
नवम अध्याय प्रायश्चित्त
दशम अध्याय ईश्वर प्रार्थना

नीतिग्रन्थों की आवश्यकता यों तो जन्म भर रहती है लेकिन पढ़ने का सब से उपयुक्त समय बाल्यावस्था है। उस समय उनके मानवचरित्र का आरंभ होता है। इसी लिए पाठ्यपुस्तकों में बोस्तां का इतना प्रचार है। संसार की कई प्रसिद्ध भाषाओं में इसके अनुवाद हो चुके हैं। सर्वसाधारण में इस के जितने शेर लोकोक्ति के रूप में प्रचलित हैं उतने गुलिस्तां के नहीं। यहां हम उदाहरण की भांति दो चार कथायें देकर ही सन्तोष करेंगे—

(१) सीरिया देश के एक बादशाह जिसका नाम