पृष्ठ:महात्मा शेख़सादी.djvu/७८

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हक्क़ा कि वा उक़ूवत दोज़ख़ वराबरस्त,
रफ़तन व पायमर्दी हमसाया दर बहिश्त।

पड़ोसी की सिफ़ारिश से स्वर्ग में जाना नर्क में जाने के तुल्य है।


रिज़्क़ हरचन्द बेगुमां बरसद,
शर्त अल्क़स्त जुस्तन अज़ दरहा।

यद्यपि भूखों कोई नहीं मरता, ईश्वर सब की सुधि लेता है, तथापि बुद्धिमान आदमी का धर्म है कि उसके लिए प्रयत्न करे।


वदोज़द तमा दीदये होशमन्द।
तुष्णा चतुर को भी अन्धा बना देती है।


गरदने वेतमा वुलन्द वुवद।
निस्पृह मनुष्य का सिर सदा ऊंचा रहता है।


निकोई वा वदां करदन चुनानस्त,
कि वद करदन बजाए नेक मरदां।