पृष्ठ:महात्मा शेख़सादी.djvu/७७

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मित्रों के साथ बन्दीगृह भी स्वर्ग है पर दूसरों के साथ उपवन भी नर्क समान है।


नेक बाशी व बदत गोयद ख़ल्क़,
बेह कि बद बाशी ब नेकत गोयन्द।

सन्मार्ग पर चलते हुए अगर लोग बुरा कहें तो यह उससे अच्छा है कि कुमार्ग पर चलते हुए लोग तुम्हारी प्रशंसा करें।


बातिलस्त उन्चे मुद्दई गोयद,
विपक्षी की बात मिथ्या समझी जाती है।


मर्द बायद कि गीरद अन्दर गोश,
गर नबिश्तास्त पन्द वर दीवार।

मनुष्य को चाहिए कि यदि दीवार पर भी उपदेश लिखा हुआ मिले तो उसे ग्रहण करे।

हमराह अगर शिताब कुनद हमरहे तो नेस्त।
जल्दबाज़ का साथ अच्छा नहीं।