पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/१२२

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- तुरन्त लिख करवा दें, तो जिसका वैधव्यकी निशानी माना जाना बन्द हो जाय। दूसरे फायदे भी सोचे जा सकते हैं, मगर अभी तो अितने काफी हैं न?" कवियोंने कोयलके बोलनेके समयके बारेमें कितनी चर्चा की है ? यहाँ हररोज सुबह चार बजे हम भुसको आवाज़ सुनते हैं, साबरमतीमें कितनी ही बार सुनते थे। आज रातको तो १० बजे असफा टुहकार सुनाभी दे रहा है। काका साहबके बारेमें डोमीलने अच्छा जवाब दिया । रहा हूँ और अिस सताहमें जवाब आना ही चाहिये । और मैं कुछ समय बाद ही वहाँ जानेवाला हूँ, अिसलिओ वहाँसे आपको आँखों देखी हकीकत दूंगा।' अिस आदमीकी भलमनसाहत साफ दिखाी देती है। कभी कभी बापूका मीठा व्यंग सरदार पर भी छूट जाता है । बापू सुबह नौ बजे सोडा और नीबू लेते हैं। यह पेय सरदारको तैयार २६-४-३२ करना पड़ता है। बाकी स्वाभाविक सफाीकी वृत्ति बारीक भूलें भी देख लेती है। और सरदारसे कहते हैं - "क्या आपको नर्सिंगका अक कोर्स देनेकी जरूरत नहीं है ? देखिये तो, आपने चम्मच सूपरसे पकड़नेके बजाय ठेठ मुँहके पास पकड़ा है। यह सारा चम्मच गिलासमें जायगा । अिसलिये अस जगह असको हाथसे छूना, ही नहीं चाहिये । और जिस रूमालसे आपका मुंह पोंछा जाता है, असीसे आपने अिस चम्मचको साफ किया । यह भी न होना चाहिये । आपको मालूम है कि कोसी नर्स आपरेशनके कमरेमें किसी भी चीजको हाथ नहीं लगा सकती? सब कुछ संडाम.से ही लेना पड़ता है । हायसे ले तो असे बरखास्त कर दिया जाय । अमी ही सफाी हमें रखनी चाहिये । पीकर गिलास यों ही औंधे नहीं रख देने चाहिये । अगर अिस आशासे आधे रखते हों कि धुल जाते. होंगे, तो मैं आपसे कहता हूँ कि ये अक्सर नहीं धोये जाते |"

मिस रोअिडनने अरिक ड्रमण्ड और सर जॉन साअिमनको लिखे पत्र और अनके आये हुओ जवाब भेजे हैं। असे बापूने पत्र लिखवाया । मिस रोअिडनने लिखा था : I hesitated (to send you the correspondence) because I feared you must think that our first concern should have been India, but I believe you will understand and sympathize with our sense of the extreme urgency of the hostilities between China and Japan in the far east. I therefore send these letters for your information." ११९