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पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/१२४

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माँबाप भी हमारी टोलीमें हैं । हम मानते हैं कि हमारी दरखास्त पर राष्ट्रसंघ गंभीरतासे विचार करे, तो अिस देशसे और दूसरी जगहोंसे हजारों आदमी स्वयंसेवक बनकर अिस टोलीमें शरीक होने को तैयार हो जायेंगे ।" मिस रोअिडनको बापूने लिखवाया : "I thank you for your letter enclosing the correspondence between yourself and Sir Erric Drummond and Sir John Simon. When I read about your movement, I did not think that you were in anyway showing preference to China over India. I then felt that you were quite right in concentrat- ing your energy over a situation that threatened to involve bloodshed on a vast scale and that too by the adoption of the method of Satyagraha." " आपके पत्रके लिखे आभारी हूँ । सर अरिक दूमण्ड और सर जॉन साअिमनके साथ हुआ आपका जो पत्र व्यवहार आपने मुझे मेजा है, वह मिल गया। आपकी हलचलके बारेमें मैंने पढ़ा था । मुझे यह खयाल तक नहीं हुआ कि आप किसी भी तरह हिन्दुस्तानकी अपेक्षा चीनके साथ पक्षपात रखती हैं । जिस परिस्थितिसे बड़े पैमाने पर रक्तपात होनेकी संभावना है, अस परिस्थितिको रोकनेके लिभे आपने अपनी तमाम ताकत अक जगह लगानेका जो सोचा है, वह बिलकुल ठीक है । और आप लोग तो यह बात सत्याग्रहके ढंगसे करना चाहते हैं, यह अिसकी विशेषता है । वल्लभभाी कहने लगे "बस, अितना ही लिखना है ? " तो क्या अिसे यह लिखा जाय कि अब हिन्दुस्तानके लिओ भी कोभी असी ही हलचल करो ?" वल्लभभाभी नहीं जी, हम तो अपने आप ही निवट लेंगे । मगर अिसे यह लिखिये न कि हम बाहर होते तो हम भी आपके साथ हो जाते ।" ० राव नामके आदमीने गोकुलदास तेजपाल अस्पतालमें साँपका मुँह और कीले वगैरा खानेके जो प्रयोग करके बताये, अनसे भयभीत होकर बापूने नटराजनको पत्र लिखा: Dear Mr. Natarajan, I am sure you must have read the reports of an exhibition given by an Indian Yogi of his powers before an audience specially assembled at the Gokuldas Tejpal Hospital. The Yogi is reported to have eaten a live viper's head, nails, nitric acid, and the like, and that the Chief 66 चापू बोले- प्रो० १२१