पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/१३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

1 ."कैसा लगता साथ रखना है ! बापूके चरणोंपर सिर रखा तो अन्हें भी आश्चर्य हुआ । पीट पर, सिरमें और गालोंपर खुब थप्पड़ें लगाीं । अितना लाड़ बापूने कभी नहीं किया था। मैं कृतज्ञतामें और अपनी अयोग्यताके भानमें डूब गया । बापू और सरदारसे जाना कि मुझे यहाँ लानेमें सर पुरुषोत्तमदासका भी हाथ है । डाह्याभाभी तो पिछली बार ही कह गये थे कि ने जो करना था कर दिया है। फुटकर बातें और खबरें पूछनेके बाद बापू बोले "तुम जैन मौके पर ही आये हो । वल्लभभाभीकी बुद्धि बिलकुल मारी गयी है । अिन्हें सूझ ही नहीं पड़ती। अन्होंने तुमसे कहा या नहीं ?" वल्लभभाी बोले " अिसे खाने तो दीजिये । फिर बातें करेंगे ।" वल्लभभाीने मेरे लिओ खाना रखा । बाप्प और वे तो खाकर बैठे थे। रोटी, मक्खन, दही और अबाले हुओ शकरकंद थे । खा चुका तो बापूने बात .शुरू की। शुरू करनेके बजाय सेम्युअल होरको लिखा हुआ पत्र मुझे पढ़नेको दिया । मैं पढ़ गया । मुझे पूछा- है ?" मैंने कहा "मुझे सारा तर्क शुद्ध लगता है । दमननीतिके बारेमें तो मुझे पहले भी कभी बार लगा है कि किसी न किसी दिन बापूका प्रकोप असा रूप ले तो आश्चर्य नहीं । अिसमें वल्लभभाीको क्या अतराज है ? अिन्हें तो यह खयाल होगा कि आप जैसा कदम झुठायें, तो कांग्रेसके अध्यक्षकी हैसियतसे ये कैसे सम्मति दे सकते हैं ?" बापू कहने लगे "नहीं। यह सवाल तो जिनके मनमें नहीं झुठा । सवाल यह है कि साथीके नाते सम्मति कैसे दें ? मगर मैंने यह कल्पना नहीं की कि वल्लभभाभीने धार्मिक तौर पर विचार किया है। जिन्होंने तो राजनीतिक तौर पर ही विचार किया, और यह ठीक है । मेरा और वल्लभभाभीका सम्बन्ध भी धार्मिक नहीं कहा जा सकता । हाँ, तुम्हारे सायका सम्बन्ध धार्मिक कहा जायगा । वल्लभभाभीकी मुश्किल यह है कि सिसका अनर्थ होगा। वे कहेंगे कि यह गांधी तो जैसा ही आदमी है, पागल हो गया है, असे पागलपन करने दो । जनताको भी चोट पहुंचेगी और अिस तरहके अनशनकी गलत नक्कल होनेका भी बहुत बड़ा डर है ।' मगर यह तो भले ही हो ! मैं पागल माना जा और मर जा, तो अिसमें क्या बुरा है ? मुझे बनावटी तौर पर महात्मापन मिला होगा, तो वह खतम हो जायगा। यह अच्छा ही है । मगर मुझे तो यह भी डर नहीं कि असा होगा। रोमाँ रोला-जैसे आदमी तो मेरे अिस कदमको समझेंगे। और वे भी न समझें तो क्या ? मुझे तो धर्मका विचार करना है न?" मैंने कहा " दमनके विषयमें अनशन हो. तो दुनिया समझ सकती है, मगर भिस अछूतोंसे सम्बन्ध रखनेवाले अनशनको शायद न समझ सके । अंग्रेज संसारको यह समझानेकी कोशिश करेंगे कि सब अछूतोंकी Q 4 ६