, साथीको दगा दिया है । यह बात जैसी है जो अंग्रेजोंको बहुत कड़ी लगती है । लेकिन मैंने अिसलिओ लिखा है कि मुझे महसूस हो रहा है -- क्योंकि शफी या आगाखां जैसे लोग जो अिससे रोज मिलते रहते थे, अन्हींने ये सब झूठी बातें कही होंगी । जिसने अन्हें मान लिया, अितना ही नहीं, बल्कि मुझसे कभी पूछा नहीं। और मुझे यहाँ बन्द करनेके बाद कहता है कि दोष मेरा था !" बापूको कितना बुरा लगा, यह तो अिस परसे ही मालूम होता है कि पहला पत्र जो अन्होंने लिखवाया असमें वाक्य अिस तरह था: "You have given judgment against me on evidence of which I have been kept in ignorance and your judgment has been given at a time when I have been rendered incap- able of defending myself.” " आपने जिन प्रमाणों के आधार पर मेरे खिलाफ फैसला दिया है, अन सब प्रमाणोंसे मुझे अशानमें रखा गया है; और अब आप फैसला असे समय देते हैं, जब मैं अिस हालतमें नहीं हूँ कि अपना बचाव कर सकूँ ।” अिसलिओ दगेकी नीचता बढ़ जाती है। बापू कहने लगे - " मेरे दावेको बहुत ज्यादा बताता है, सो भी गलत है। किसी भी जातिका आज़ादीका दावा बहुत ज्यादा से कहा जा सकता है ? मैं अगर अिंग्लैण्डसे गुलामीका पट्टा लिखवाना चाहूँ, तो यह दावा जरूर बहुत ज्यादा कहा जायगा । और अपने भाषणमें मैंने कांग्रेसकी माँग बताी, मगर चर्चामें तो और बहुतसे प्रस्तावोंका भी मैं जिक्र करता था ।" लॉर्ड अविनको भी अक पत्र लिखवाया था । मगर बादमें यह कह कर असे रद कर दिया कि “अिस भाषणका पूरा विवरण देखना चाहिये । ओक विवरणमें जो कुछ आया है, वह कहनेका अिसे अधिकार है; दूसरे विवरणका विरोध किया जा सकता है । लेकिन हम कोी बात मान क्यों ले ? कुछ लिखनेकी जरूरत मालूम होगी, तो फिर देख लेंगे ।" सेम्युअल होरको भी अक खत लिखा । असे ' मैं आपका बहुत आभारी ' असा लिखवाया था। बादमें बहुत' शब्द निकलवा दिया । आज सुबह डाह्याभाीकी धर्मपत्नी यशोदाके मरनेका तार आया। छोटेसे जीवनमें बेचारीने कितना कष्ट सहन किया ? कितना कष्ट २-५-३२ सहन कराया ? और चली गयी ! डाह्याभाजी-जैसे निष्ठावान पति भाग्यसे ही मिलते हैं। अन्होंने अपना ऋण पूरी तरह अदा किया । बापूने अिस मौतको तारमें 'Release from living death' - जीती मौतसे छुटकारा बताया । १३०
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