पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/१५०

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56 बापू कहने लगे. आप शरीरके मालिक है, मगर मनुष्य अपने निष्णातको बुलानेके लिझे स्वतंत्र है । हरओक कैदीको अपना शरीर अपने आदमीको सौंपनेका आग्रह करनेका हक है । और आप जो कुछ कह रहे हैं, वह तो मुझे केवल गुस्ताखी लगती है । अगर वल्लभभाभी मान लें तो अिस मामलेमें मैं अन्हें भी सरकारसे पूरी तरह लड़वा लें। यह तो मुझे जुल्म मालूम पड़ता है। और मेरे लिओ ये जवानी जवाब काफी नहीं हैं। मुझे सरकारको लिखित आशा चाहिये ।" सुपरिटेण्डेण्ट बोले : "यह पत्र तो मेरे नाम ही था न ? मगर वह आपकी सुचनासे था । हमें सरकारी जवाब चाहिये." जिसके बाद वे जरा नरम पड़े और आखिर यह वचन दे गये कि मेहतासे आपरेशनकी सिफारिश कराझंगा और यह लिख दूँगा कि वल्लभभाभी अपने विशेषज्ञसे आपरेशन कराना चाहते हैं । ये सुपरिटेण्डेण्ट अक बार कहते थे कि साँपका जहर अतारनेके लिओ पाँच रुपया देकर जो मोहरा लिया गया था, वह बेकार साबित हुआ । स्मरणशक्ति वहानेके लि पेलमॅनका कोर्स १२०) रुपयेमें खरीदा और यह साबित हुआ कि रुपया यों ही बर्बाद हुआ । ये पुस्तक बाके देखनेके लिभे लाये थे । कैदियोंकी बात निकलने पर कहा कि कितने ही कैदी सुरंग खोदकर बाहर निकल गये थे। बापूने मोर संघवीणीका जिक्र किया । असने कभी आदमियोंकी नाक काट ली थी और आतंक फैला दिया था। असे सरकारने पुलिस सुपरिटेण्डेण्ट बना दिया। मेजरने डाह्यला डाकूकी बात कही । अिसे अन्होंने फाँसी दी थी । कहते हैं. वह बहादुरीके साथ फाँसी चल गया जिस दिन फाँसी दी जानेवाली थी, अस दिन गो माताके दर्शन करनेकी मांग की थी । दूसरे अक मुसलमान (बोहरे) ने भी गोमाताके दर्शनको माँग की थी । वापू आज चरखे पर ज्यादा सफल हुसे। तीन घण्टे कातकर १३१ तार निकाले । वल्लभभाभीसे कहा " देखिये, आज कैसा परिणाम आया है!" वल्लभभाभीने कहा "हाँ, नीचे काफी पड़ा है ।" बापूने कहा यह सुतकी फेनी चन्द हो जायगी, तब तो कहेंगे कि अब ठीक है ?" - - - मगर मैंने कहा आज सवेरे कातते कातते कहने लगे- "यह अक बड़ी तालीम है ।" " यह कहनेकी जरूरत नहीं है, देख ही रहे १२-५-३३२ हैं न!" बापू कहने लगे "नहीं, मिस अर्थमें नहीं कहता। ६३ वर्षकी झुम्रमें अितनी मेहनत अठा रहा हूँ, यह तुम्हें तालीम मालूम हो सकती है । मगर मैं तो कहता हूँ कि अिस सुम्रमें भी मुझे जिसमें खुब रस आ रहा है । और मेरे लिअ यह बढ़िया तालीम है । परिश्रमकी १४७