पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/१७

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मगर तुम्हें भी ले आये । अिस तरह की सुविधायें देनेकी कोशिश करते हैं, मगर अिससे मैं कैसे भ्रममें पड़ सकता हूँ ? अिससे क्या जो धर्म आ पड़े, अससे विचलित हो सकता हूँ ? तुम्हारी राय भी जो पूछता हूँ, तो अपवास करनेके बारेमें नहीं पूछता । दिल्ली जैसे हालात होते तो तुमसे किसीसे न पूछता । आम तौर पर मैं निर्णय करनेके बाद ही जाहिर करता हूँ। मगर अिस बार तो यह ultimatum (अंतिम चेतावनी) देनेकी बात है । और जिस चीजकी सूचना देनी है, असके बारेमें चर्चा ज़रूर की जा सकती है।" दोपहरको पुस्तकालयकी सूची आयी और अपनी पसन्दकी किताबोंकी माँग करने लगे । निकालो, अिसमें स्कॉट है ? मॅकॉले है ? किंग्सली West- ward Ho (वेस्टवर्ड हो) है ? ज्युल्स वन है ? Faust (फॉस्ट) है ? ह्यूगो है ? अडवर्ड कार्पेण्टरका नाम सुनते ही तुरन्त बोले Adam's Peak to Eelephanta (अडम्स पीक टु अलीफ़ैण्टा ) मँगाओ । और निवेदिताकी Cradle Tales (क्रेडल टेल्स) भी मँगाओ । जेलकी पुस्तकोंकी बात करते हुओ वापूने कहा ." दक्षिण अफ्रीकाकी जेलके पुस्तकालयमें ही मैंने पहली बार Dr. Jekyll & Mr. Hyde ( što stalas aita fqO ETISIE ) 9er ! मुझे मालूम नहीं था कि यह क्या चीज़ है।" मैंने कहा कि अिस पुस्तकालयमें भी स्टीवन्सन है । Virginitris Purisque (वर्जिनाअिट्रिस प्युरिस्क) यानी To the pure virgin (टु दि प्योर वर्जिन) बापूने खुद ही बताया और कहने लगे "ये निबन्ध अच्छे ही होंगे। खगोलकी बातें करते हुओ कहने लगे. ."अब मैं बहुत होशियार हो गया हूँ। तुम काकाके साथ कुछ आकाशदर्शन करते थे क्या ? मैं तो यहाँ 'टाअिम्स मेंसे नकशा निकाल कर बैठता हूँ और रोहिणी, कृत्तिका, मृगा और अनुराधा, ज्येष्ठासे बहुत आगे निकल गया हूँ। अफ्रीकामें किचनके साथ था, तब किचनको अिस मामलेमें बड़ी दिलचस्पी थी । वह मुझे अक वेधशालामें भी ले गया था। लेकिन मुझे कुछ मजा नहीं आया। सुन दिनों कुछ और ही चीजोंमें मजा आता था, लेकिन आज तो अिन बातोंमें बहुत मजा आता है । जिससे दृष्टि कितनी विशाल होती है ? नावपर शुस पुस्तकके आखिरी प्रकरण तुमने पढ़े थे न ?” पुस्तकोंकी बात करते हुझे मैंने कहा था ." बापू, आपको मासके बारेमें पढ़ना चाहिये, और हमारे युवकोंके लिओ मार्सके जवाबमें कुछ न कुछ permanent contribution (स्थायी साहित्य) दे जाना चाहिये ।" भिसपर बापूने कहा "ठीक बात है । मुझे भी असा लगा करता है। रूसके बारेमें काफी जान लेनेकी अिच्छा होती रहती है।" मैंने Mind & Face of Bolshevism (माअिण्ड अॅण्ड फेस ऑफ बोल्शेविड़म)की और शेखुड अडीकी पुस्तकोंकी बात कही। बापू बोले 'मँगाना । मगर महीनेभर 58 १०