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पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/१८

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- Ct तक नहीं ।" आजकल तो The Wet Parade (दि चेट परेड ) पढ़ रहे है और बड़ी दिलचस्पीके साथ । सिक्लेरके बारेमें कहा- यह आदमी तो अद्भुत सेवा कर रहा दीखता है | समाजकी अक अक गन्दगीको लेकर बैठा है और असका खुले आम भंडाफोड़ करता है ।" मैंने कहा "और फिर भी अडगर वॉलेसकी तरह ही prolific (बहुत पुस्तकोंको जन्म देनेवाला) भी कहा जा सकता है । फिर भी मैसा खयाल होता है कि वॉलेस जैसे भी-भले ही जास्सी कहानियोंकी बाप कैसे ला सके होंगे? यह आदमी तो अपने अपन्यास जबानी लिखवाता था।" अिस पर बापू बोले " महादेव, लिखा जा सकता है, लिखा जा सकता है। टॉलस्टॉय कहते थे न कि सिगार मुँहमें रखा हो, धुझेके गोले निकल रहे हों और अच्छी तरह चुस्कियाँ लेकर बैठे हों, तो फिर जिस तरहकी तरंगे निकलती ही रहती है ? और ग लगानके लि किसीसे कुछ पूछने जाना पड़ता है क्या ?" आज 'क' और 'ख' की बहुत बातें हुी । 'क' के बारेमें अन्त तक माननेते अिनकार किया । फिर उन्हें खत लिखा और अप्तका जवाब आया तो समझमें आया कि अन्होंने कमजोरी दिखाओ । अन्होंने राय माँगी । अन्हें लिखा कि राय तो नहीं दी जा सकती । मगर मुझे तुम पर विश्वास है । और भगवान तुम्हारा भला ही करेंगे ।" फिर बापूने कहा "अभी मुझे आशा बनी हुी है कि वे अपनी भूल सुधारेंगे । 'ख' के बारेमें भी जैसी ही आशा रखी जा सकती है। यह तो मैं मानता ही नहीं कि वे यह नहीं समझते कि अन्होंने भूल की है। वे बहादुर आदमी हैं, अिसलिझे नहीं माना जा सकता कि वे डरते हैं । फिर भी कोन जाने १ अिसलिये आज तो अनके कृत्यका जैसा अदार अर्थ लगानेकी ज़रूरत है कि अन्हें कोी अनिवार्य काम होगा और असे पूरा करनेके बाद आन्दोलनमें शामिल होनेका विचार किया होगा । असे मामलों में सम्बन्धित मनुष्यसे पूछे बिना मालूम नहीं होता। देखो तो वे लड़कियाँ . 'बारडोली नहीं आयेंगी' यह लिखने पर भी आयी थीं न ?” मुझे मालूम नहीं था, अिसलि वापूने हाल सुनाया। फिर कहने लगे "वे तो बेचारी नादान लड़कियाँ हैं। वे सीतारामसे डरकर जैसा लिखकर दे सकती हैं। अितने बड़े आदमीसे अिनका मुकाबला नहीं हो सकता। मगर भगवान जाने । यह लड़ामी सबकी परीक्षा कर रही है।" सोने जाते वक्त वल्लभभाभी हँसते हँसते कहने लगे "महादेव, हमारे तीन ध्रुव तारे नहीं टूटेंगे ।" बापू बोले " पहलेके बारेमें मुझे शक है । बाकी दोकी बात यह है कि जिन लोगोंका तो जिसमें पड़े बिना काम ही नहीं चल सकता।"