पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/१७९

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चलाना चाहते हैं। छक्कड़दासको -जिसने बड़ी मेहनत करके बहुत ही व्यवस्थित ढंगसे तैयार की हुी, बराबर माप और वजनकी सुघड़ और गठीली पूनियोंके बहुतसे पड़े और अपना सुन्दर सूत भेजा है --- धन्यवादका और सूचनाओंका लम्बा पत्र लिखवाया । यह आदमी कपड़ेका व्यापारी है, मगर खुद पीजता है और लड़कियाँ पूनियाँ बनाती हैं। कपास भी घरमें ही लोढ़ता है, दो घंटे कातता है और सात घंटे दुकान पर बैठता है । अिस तरहके कुटुम्ब अिस आन्दोलनके अदृश्य फल हैं और अचल श्रद्धाके नमूने हैं । प्रीवाने 'टाअिम्स में होरको जवाब दिया है । बापू कहने लगे वड़ा गौरवपूर्ण पत्र कहा जायगा और ‘टाअिम्स' का अिसे छापना यही जाहिर करता है कि खुद ‘टाअिम्स'को भी सेम्युअल होरका वर्णन पसन्द नहीं आया । यह आदमी बेहया हो गया दीखता है। सच्चा तो था ही मगर जिसकी सचाीमें भी बेहयाी थी-जब झुसने कहा कि असे किसी भी हिन्दुस्तानीकी बुद्धि या शक्ति पर विश्वास नहीं है।" असा मालूम होता है कि मेक्डोनल्डने तो जो शन्द कल बापूने कहे थे अन्हें सच्चा कर दिया । असका कहना है कि कांग्रेसके सामने झुकना हिंसा और अव्यवस्थाके सामने झुकने-जैसा है और प्रजातंत्रके पैसे कमजोर अर्थको नहीं मानना चाहिये । बापू कहने लगे-“ यह तो पक्का साम्राज्यवादी मनुष्य बन गया है।" मोण्डरका Astronomy without a Telescope (दूरबीनके बिना खगोल) पढ़ रहे हैं । असमेंसे अक सुन्दर वाक्य बापू अद्धृत कर रहे थे। कहने लगे कि जिसमें विज्ञानकी सुन्दर व्याख्या दी गयी है : ठीक ठीक मापका ही नाम विज्ञान है' (Science is accurate measurement), और जिस सिद्धान्तको कातने और अससे सम्बन्ध रखनेवाली सब क्रियाओं पर लागू करने लगे। सूत्र वाक्य बापके स्वभावमें हैं, क्योंकि सारा जीवन सूत्रमय है । छगनलाल जोशीको कल जो पत्र लिखा था, असमेंसे अक वाक्य लिखना रह जो आदमी व्रतबद्ध नहीं है, असका कोन विश्वास करे ?' आज हँसते हँसते कहने लगे. " मैं सरकारकी बात मान लूँ तो सरकार कहने लगे कि यही सच्चा महात्मा है, भूल करता है मगर कितनी अच्छी तरहसे मान लेता है ! सारे गवर्नर मेरी तारीफ करने लगे। लेडी विलिंग्डन तो खूब खुश हो जाय । मगर हिन्दुस्तान क्या करेगा ? रेनॉल्डस-जैसे तो पागल ही हो जाये और बहुतेरे, जो आज यह मानते हैं कि अहिंसा शोभा पा रही है, मानने लगे कि अहिंसाकी शक्ति आज धूलमें मिल गयी है ।" गया था- - १७६