सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/२०९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

या पादन ग अपनी कल्पना अवतारोंको पूज सकते हैं। मैं यह नहीं कहूंगा कि रविवर्मा निका म्यान धरनेका भी निषेध है । भावना मुख्य चीज है।" कलशारत मार्ग पर यात निकली थी । तर बापू कहने लगे- " सिन्दुलाल ज्य यहां थे, तब युटरीफकी पुस्तक लाये थे और असे पानेको कहा था। उसमें कितना ही भाग अिनना भद्दा और विभत्स आया कि मैं असे पड़ न सका । नाची बात से आनी वहाँ तो में ठण्डा ही हो गया और पुस्तक छोड़ दी। वीयिनि गीतर्ग:विन्द पटते वक्त हुी थी । असका अनुवाद और असपर बाद होनेवा टिप्पणियों पाते समय तो असा लगा कि असे परनेकी मोमिन रम्ना येकार है।" आज 'येट रिव्यू में आया हुआ लाकीका अक ले गोलमेज समयके मुसलमानति दायानोका अच्छा भन्नापर करता है । व परकर सुनाया तो "लाली मेंकीका योयापन ममझ गया दीखता है । मुझे गुगी कि अमकी और दुनोंकी अन्य पोलनेवाला में ही था, क्योंकि सेतीफे सामने अपनी राय कभी छिपायी ही नदी ।" "बाप, मेकीके रपतका जताय अब आना चाहिये ।" मीना ग" " शुगने लगते नारेमें आपने लिखा था सो ।" " पा लिया कर १" यसमामी----"अरे बापू, जिस तरह भूगे तो काम कसे चलेगा ? कभी तो हमें स्वगज लेना है न?" तिरपी याद दिलायी। कितनी ही तफमील बतायी तर यापू सय गुल कुल मिला स्मरण होता है।" में जाना या यि त भूलने का यह पहला अदाहरण आया 2ी कितनी ही या भूल जानेकी भिमाले में जानता हूँ। मगर अिसे में मारमंग गाली गोरे गमय पछा--- " याय, आपकी छोटी मामी कि मुझे अमर आश्नाना। तर शिनी म. आपने जिन अधिक वर्ग और पिनाके याद लिया म.मराआ आगे सदा या कि. दादको दिया आर. गार ग्ला या । यः आप साद से, और मनपा यात - 7-IfT का याभिन दोनों गरिमी मनुष्यता - 5.777!1 1"