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पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/२२९

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मीराबहनने यह खबर दी थी कि भाभी की हालत खराब है और वह बहुत ही चिन्तामें रहता है । यह खबर फिर आयी । असे बापूने जो कुछ लिखा, वह हरओक पैसेवालेके ध्यानमें रखने लायक है । तुम्हारी हालत कैसी भी हो, अितना याद रखना : १. तुम जो रुपया कमाते हो, असे खो देनेका तुम्हें अधिकार है। २. रुपया गँवा देने में शर्मकी बात नहीं है, गँवा देनेके बाद छिपानेमें शर्म है, पाप भी है। ३. हैसियतसे ज्यादा रहन सहन कभी नहीं रखना चाहिये । आज बंगलेमें रहते हुओ भी कल झोंपड़ीमें रहनेकी तैयारी रखनी चाहिये । ४. लेनदारको देने जितना रुपया हमारे पास न हो, तो अिसमें शर्मकी बात नहीं है। ५. जो आदमी अक दमड़ी भी अपने पास न रखकर सब कुछ लेनदारको दे देता है, असने सब चुका दिया । ६. कर्ज लेकर व्यापार न करना यह पहली समझदारी है। यदि कर्ज लिया हो, तो जो कुछ पास हो वह देकर असमेंसे निकल जाना दूसरी समझदारी है । आश्रममें जब जाना हो जा सकते हो ।"

अिस झुर्दुकी किताबोंमेंसे अंजुमने हिमायते अिस्लाम, लाहौरकी चौथी किताब बापूने पढ़नी शुरू की है । आज सोनेसे पहले तेल मलवाते समय कहने लगे. पुस्तकको पढ़कर दिन दिन अदास होता जा रहा हूँ । असा लगता है कि मुसलमान बच्चोंको जन्मसे ही मारकाट और रक्तपात सिखाया जाता है । मुहम्मद पैगम्बरके जीवनमें लड़ाी ही लड़ाी ! जो लिखनेवाला है वह पैगम्बरके जीवनका रहस्य समझा ही नहीं और असने अिस तरह वर्णन किया है कि वे लड़ामी पर लड़ाभी करते रहते थे।"

66 "वह आज दुर्गा, बाबा, आनंदी और रमण मिलने आये । मालूम हुआ दुर्गा आम लायी थी। और कुछ आम तो थे ही, यह जानकर बापू घबराये । कहने लगे. परचुरे शास्त्रीको आम भेज दो । हम क्या यहाँ आम खाने आये हैं ?" आनंदी बापूसे न मिल सकी । मैंने बापूसे बात की। बापू बोले- रोजी वैसे ही दूसरे भी बहुत रोयेंगे, और मुझे अिन लोगोंको वापस भेजनेमें क्या कम दुःख होता है ? मगर क्या किया जाय ?" रातको त्रिवेदीजीको भेजी हुी दूरबीनसे तारे देखने की कोशिश की । कुछ कुछ दिखायी भो दिये । मगर मुझे तो सन्तोष नहीं हुआ ।