पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/२६

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अन्हें सीते थे । अन्हें कैंची नहीं दी जा सकती थी, अिसलिये यह काम मुझे सौंपा गया था। बादमें कम्बल गूंथनेका काम मिला था; यानी फटे हुओ कम्बलोंको अक दूसरेपर सीकर मुनकी रजामी बना देनी होती थी । असे सैकड़ों कम्बल मैंने सीये होंगे । हमें ६ से ११ और १२ से ५ बजे तक कुल नौ घंटे काम करना पड़ता था। मगर मैं कभी नहीं थका । मैं तो अनसे कम्बल मांगता ही रहता था। प्रिटोरियामें घी भी नहीं मिलता था, अिसलिओ मैंने चावल खाना छोड़ दिया । अक बार मीली पेप लेता था। डॉक्टर रोटी रखता था। मगर मैं मिन कर देता था। भाखिर डॉक्टर हारा और घी दिया और रोटी भी रहने दी। थोड़े दिन हमें बाहर काम करनेको मिला था। बड़ी बड़ी कुदालिया दी गयीं और उनसे यहाँसे भी ज्यादा सख्त जमीन खोदनी होती थी। बादमें म्युनिसिपल वॉटर टैंकका काम करना था, वहाँ भी हमको भेजा गया था । अक झीणाभाभी देसाओ नामके आदमी थे। वे वेचारे खोदते खोदते मी खाकर गिर पड़े। लेकिन ग्रिफिथ नामका वॉर्डर तो आवाज़ देता ही जा रहा था- खोदो, खोदो । बादमें मैंने असको नोटिस दे दिया कि तुम अिस तरह करोगे, तो हम कोी काम नहीं करेंगे । तब कहीं वह चेता । मेरा वजन तो सुन दिनोंमें बहुत ही घट गया था । लेकिन अस वक्त वजनका कौन विचार करता था ! तीसरी बार जेलमें गया, तब मेरे खानेका सवाल हल हो गया था । मैंने खजूर, मूंगफली और नी माँग लिये और मुझे मिल गये थे । हरिलालने भी अन दिनों बहुत बहादुरी दिखाी थी। असे दूर कहीं कोनेकी नेलमें भेज दिया था। वहाँसे बदलवानेके लिझे सुसने सात अपवास किये और अन्तमें जीत गया । मैं अस समय बाहर था । लेकिन मैंने अिस मामलेमें जरा भी ध्यान नहीं दिया था। वे सब सच्चे जेलके दिन थे। यह क्या वह जेल है ! यहाँ तो मामूली कैदियोंको भी अतना कष्ट नहीं, जितना वहाँ था । बादमें कष्ट हलका हो गया था, खाने पीने वगैराकी हालत सुधर गयी थी। अिस सुधरी हुी हालतमें सिमाम साहब आये थे। यह तो दक्षिण अफ्रीकाके अितिहासका अक अमूल्य पन्ना मिल गया । आज बापूने 'वेट परेड' पूरा किया और वल्लभभाभीसे कहने लगे कि आपको जरूर पढ़ना चाहिये । शराबबन्दीका सारा अितिहास अिसमें मिल जाता है और कुछ प्रकरण तो बहुत ही अच्छे हैं। जिससे पहले बापू की पुस्तकें पढ़ चुके हैं। आज Adam's Peak to Elephanta (अॅडम्स पीक टू औलीफेण्टा) शुरू किया।