पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/२८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

और दूसरे होंगे वे अलग उँट जायेंगे। यह संभव है कि हम छूटेंगे तब तक भगवान सारी स्थितिको बहुत अनुकूल बना रखेंगे।" की मताधिकार समितिके सामने गवाही पड़कर आज बापने कहा " यह तो जिसी तरह बोलता है जैसे बिलकुल विक गया हो । जो प्रोत मताधिकारके विरुद्ध बोलता है, असे अब क्या कहा जाय ?" आज मार्टिनको दिये गये अल्टीमेटमका जवाब देने सुपरिष्टेण्डेण्ट साहब आये लगभग बारह बजे । अिधर बापू आज शामका भोजन १८-३-३२ छोड़नेका नोटिस देनेके लिखे पत्र लिखनेका विचार कर रहे थे ! मेजरने खबर दी कि आपको हर पखवाड़े तीन कैदियोंसे मिलनेकी अिजाजत आज आ गयी है। जेलके अनुशासनकी चर्चा न की जाय, राजनीतिकी चर्चा न की जाय, दूसरे कैदियों के हालचालकी चर्चा न की जाय, २० मिनटकी ही मुलाकात हो, वगैरा शत भी साथ हैं ! साथ ही यह शर्त भी थी कि अिन लोगोंसे मिलनेके लिओ बापूको दफ्तरमें जाना होगा, जिससे सरदार और महादेव भिन लोगोंसे बात न कर सकें! यह सब सन्तोषजनक नहीं था। मगर बापूने कहा कि भिसके खिलाफ लड़ना नहीं है। अन्होंने हरिदास, नरसिंहभाभी और छगनलाल जोशीसे मिलनेकी मांग की। बादमें याद आया कि स्त्रियोंको मिलने बुलाना चाहिये। बस, गंगाबहनकी माँग की। गंगाबहनकी माँगसे मेजर भड़के। वापस आये। स्त्रियों को सुनकी जेलसे निकालनेका हुक्म नहीं, और आपको मिलनेके लिओ कैसे ले जाया जा सकेगा, वगैरा बातें की और अन्तमें अिन्स्पेक्टर जनरलको फिर लिखनेको कहकर चले गये। अिस वारेमें बापू स्पष्ट विचार रखते हैं कि बाहरके आदमियोंसे मिलनेका आग्रह नहीं किया जा सकता। जेलमें आना और बाहरवालोंसे मिलनेकी लालसा रखना, जिसका कोभी अर्थ, नहीं । मगर जेली भाभियोंकी जानकारी रखनेका जितना अधिकार है, अतना ही कर्तव्य भी है। और जिसका आग्रह हरगिज नहीं छोड़ा जा सकता। अिस सिद्धान्तके अनुसार ही आज तकके कदम अठाये गये हैं।

आज बापूने नारणदासभाभीको अ-ब के बारेमें अक बड़ा गंभीर प्रश्न खड़ा करनेवाला पत्र लिखा । अ की पशुताके विरुद्ध आखिरी अपायके रूपमें अ का sterilization ( वैध्यकरण ) किया जाय या व को birth-control (गर्भनिरोध) के अपाय सिखाये जायें। भैसी सूचना देकर भी सब कुछ