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पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/२९

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नारणदासभाजी पर छोड़ दिया : तुम्हारी बुद्धि स्वीकार न करे तो छोड़ देना, तुम पर जरूरतसे ज्यादा बोझा मालूम हो तो भी छोड़ देना वगैरा । मगर बापूने यह भी बता दिया कि जैसे हालातमें sterilization (वंध्यकरण) हितकर है, और स्त्रीको रक्षाके लिओ असे birth-control (गर्भनिरोध) भी सिखाया जा सकता है। बापूने बता दिया कि अिस हद तक मेरे पहलेके विचारों में अपवाद रूपसे असे किस्से आ सकते हैं। आज सेम्युअल होरका The Fourth Seal (दि फोर्थ सील) पूरा किया। किताव बढ़िया है। अिसमें ग्रांड डचेसका चित्र अद्भुत खींचा है। लेखककी रूसी भाषा सीखनेकी अत्यंत लगनभरी और सफल कोशिश, साम्राज्यकी सेवा करनेकी तीन अिच्छा, वगैरा सब बातें साफ नजर आती हैं। बापूकी आलोचना यह थी कि आखिरी प्रकरणमें जारका बचाव जरूरतसे ज्यादा राजनिष्ठा बताती " वह मानता है कि जारने गद्दी न छोड़ी होती, तो लड़ाीका कोमी दूसरा ही नतीजा निकलता । अिस बातको वह मानता ही नहीं दीखता कि जिस लड़ाओका फल विप्लव हुआ और असमें किसी भी तरह प्रजा खड़ी हो गयी । असे तो pale horse दिखाी दिया और उसके पीछे मौत, सत्यानाश, अकाल वगैराके ही दृश्य दिखाी दिये हैं। बापूने कहा यह सच है, मगर राजाके बारेमें मुसका यह कहना भी सच है कि असने गद्दी न छोड़ी होती और राज करके दिखाया होता, तो बिना मौत न मारा जाता और बुरा हाल न होता ।" " असने गद्दी न छोड़ी होती, तो क्या असे प्रजा न मारती १" बापने कहा " यह नहीं कहा जा सकता । मगर असे हिम्मतके साय प्रजाके विरुद्ध खड़ा रहना था !" है। मैंने कहा . मदनजीत कब और किस तरह बापूके साथ जुड़े, बादमें कैसे अलग हु, मिस वारेमें वापसे पूछा; और बहुतसी जानने लायक हकीकतें वापसे मिलीं। वे जूनागके नागरिक थे। जंजीवारसे अफ्रीका गये थे, वहाँ बापूने अन्हें आश्रय दिया था । घर विगड़ जाने के बाद भले-बुरे अनुभव लेते, गिरते-पड़ते बापूके पास आये थे। बाकी निजाग से रुपया चला गया । असकी कुंजीके बारेमें मदनजीतसे पूछताछ करनेपर वे निधकर घर छोड़कर चल दिये । फिर खूब जंगलोंमें भटकते रहे । यह मालूम होने कि तिजोरीकी कुंजीका चोर और ही कोजी या, बापूने अन्हें बुलाया और सुनने मिन्नत की। ये वापस आये, मगर वाके साथ नहीं रहे । बापूने अनसे प्रेम पुलवाया और अममें अच्छी रकम लगायी। अन्हें 'अिण्डियन ओपीनियन' निकालेकी मनी । जिसमें लियते नाजर, असकी जाँच बापू करते और फिर