पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/२८०

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कर सकते हैं | मगर ीसामी धर्मका दावा जिससे ज्यादा है । मनुष्यकी बुद्धि और नीतिके अलावा असमें और भी कुछ है । जीसापरायण मनुष्यमें वह नये जीवनका संचार करता है।" अिसके खिलाफ कैसरलिंग पटिये : यह कहना ठीक नहीं कि भीसाके धर्मको पालनेवाली आम जनता अीसा मसीहका असली अदृश्य समझ सकती है। असका असर वृत्तकी सुपरी सतह परसे काम करता हो औसा लगता है। और ज्यादातर मामलोंमें वह अन्त तक अक बाहरी आविष्कार ही रहा है। मामूली ीसाीकी जबान और बरतावमें कितना चौंकानेवाला फर्क होता है ? बौद्धोंमें यह फर्क आपको नहीं दिखायी देगा। बुद्धने अपना अपदेश भितने समर्थ ढंगसे दिया है कि वह अनके अनुयायियोंके दिलमें गहरा अतर गया है । जीसाभियोंकि खयालसे मानवप्रेमका अर्थ सिर्फ भले बननेकी अिच्छा होता है, जब कि बौद्धोंके विचारसे यह अर्थ है कि हरक मनुष्य जितना झुंचा जा सके अतना अँचा जानेमें असे मदद दी जाय । .अिसलिओ जो धर्मपरिवर्तन कराते हैं वे खास तौर पर अतने गिरते ही हैं। जो यह काम रोजगारके लिखे और हमेशा करते हैं, वे तो दिन रात गिरते ही चले जाते हैं । अिसलि अीसाअियोंमें और खास कर प्रोटेस्टेण्ट पादरियोंमें ओछापन, ज्यादती, जुल्म, दुश्मनी और समझकी कमी आदि खासियतें पायी जाती है । बौद्ध जैसे धर्ममें, जिसमें यह सिखाया जाता है कि अिस जीवनका हेतु ही निर्वाण प्राप्त करना है, जैसी खासियतें पैदा होना सम्भव ही नहीं है।" अिन्सानमें रहनेवाले पाप और पुण्यकी दोहरी शक्तिका वर्णन ड्रमण्डने अपनी शैलीमें बढ़िया ढंगसे किया है : " मनुष्यमें अक कुदरती वृत्ति भैसी भी होती है जो असे गिराती है, जड़ बना देती है और धीरे धीरे असे पशुओंकी कोटिमें अतार देती है, असकी बुद्धिको अन्धी बना देती है, असके हृदयको शुष्क कर डालती है और असकी संकल्प, शक्तिको कुण्ठित कर देती है । अिसे मारक तत्व या पाप कहते हैं । अिसके अिलाजके लिओ अीश्वरने अिन्सानको दूसरी वृत्ति भी दी है, जो आत्माको अिधर अधर भटकनेसे रोकती है, असे ठिकाने लगाती है और सीधे रास्ते पर ले जाती है । अिसे तारक तत्व या मुक्ति कह सकते हैं । अिनमेंसे पहला तत्व मनुभ्यमें जोरसे काम कर रहा हो और असके सारे जीवनको नीचे यानी विनाशके मार्ग पर खींचता रहे, तो अससे छूटनेका अक ही अपाय है। और वह यह कि अपर ले जानेवाली वृत्तिका निश्चयपूर्वक आश्रय लिया जाय और असके बल पर शृंचा चढ़नेकी कोशिश की जाय । यही शक्ति दुनियामें अक भैसी शक्ति है, २५७