पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/२७९

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.. जाहिर की : "अमरीकाके लेखकोंके बारेमें राजाजीको कुछ भ्रम हो गया है । हाडीका साहित्य मैंने पढ़ा नहीं है । झालाका भी नहीं पढ़ा । अिसका मुझे हमेशा दुःख रहा है । मगर सिंकलेरका बिलकुल तिरस्कार नहीं किया जा सकता। प्रचारको दृष्टिसे लिखे हुझे अपन्यासोंमें प्रचारका ही दोष मानकर अन्हें हगिज हलका नहीं बनाया जा सकता । प्रचारकके लिअ तो असकी सारी कला असीमें भर दी जाती है । अपने खयालको वह छिपाता नहीं । और फिर भी कहानी में रसको आँच नहीं आने देता । Uncle Tom's Cabin (टाम काकाकी कुटिया) साफ तौर पर प्रचारके लिभे लिखी गयो चीज है । मगर असकी कलाकी बराबरी कौन कर सकता है ? सिंकलेर अक जबरदस्त सुधारक है और सुधारके प्रचारके लिऔ असने अलग अलग अपन्यास लिखे हैं। और यह कहा जाता है कि सब रससे भरे हैं। समय मिला तो मैं अन्हें पढूंगा।" Natural Law in Spiritual World ( 3 TETEHF कुदरतका कानून) पढ़ लिया । ड्रमण्डकी शैली आकर्षक है, ३०-६०३२ मगर असके सारे अनुमान खींचे हुझे जैसे लगते हैं और अेक धर्मान्ध ीसाीकी वृत्ति पन्ने पन्ने पर दिखायी देती है। असकी पुस्तकमें जीसाी जीवनके बजाय आध्यात्मिक या अध्यात्मका जीवन लिख दें और भीसाके वजाय औश्वर लिख दें या आध्यात्मिक सिद्धान्त लिख दें, तो झुमकी बहुतसी बातें कायम रहने लायक हैं। जैसे यह साबित हो चुका है कि जहसे चेतन पैदा नहीं हो सकता, वैसे ही हमारे मरे हुओं शरीर चेतन यानी ज्ञानके स्पर्श विना सचेतन नहीं बन सकते । 'चित्त विषयं वासनासे भरा हो जिसीका नाम मौत है। जो भोगविलासमें रहता है वह जिन्दा होते हु भी मरा ही है ।' 'तुझे असने जन्म दिया है, मगर अतिरेक किया जाय और पापका आचरण हो तो यह मौत ही है ।'-अिसका मर्म यही है कि जिसे पुत्र (ीसा ममीह) पर विश्वास नहीं वह मरा हुआ है। जिसका अर्थ ड्रमण्डके मतसे यह है कि जो भीसाओ नहीं, वे सर मरे हुओं हैं । बौद्ध धर्मके बारेमें लियते हुझे वह कहता है: "जिसे बुद्धमें विश्वास है असके लि कोभी यह कहे कि असमें अध्यात्म है तो सुमका कोभी अर्थ नहीं। कारण बुद्धका अध्यात्मके साथ कुछ भी वास्ता ही नहीं। असने नीतिकी योड़ी बहुत बातें कही हैं। वे अिन्सानको अत्तेजना दे सकती है, अस पर असर डालती है, असे अपदेश देती है और झुमे गला बताती है । मगर जो बौद्ध धर्म पालते हैं अनकी आत्मा कोसी साम वृद्धि नही होती । ये धर्म मनुष्यका भौतिक, बौद्धिक या नैतिक विकार २५६