पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/२९२

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शक्ति पर विश्वास नहीं । सबसे ज्यादा साफ बात करनेवाला बाल्डविन है । असे मैंने कहा कि मेरी यह दलील है कि अंग्रेजी राजसे हमारा कुछ भी भला नहीं हुआ। तब वह कहने लगा --I must tell you that I am proud of my people's record in India. ( Feat atret for हमारे लोगोंने हिन्दुस्तानमें जो कुछ किया है, उसके लिये मुझे गर्व है ।) और जिसमें आश्चर्य ही क्या ? रामकृष्ण भांडारकर अक्षरशः मानते थे कि अक मामूली टॉमी (अंग्रेज सिपाही) भी हमसे बढ़कर है । . अिस आज बापने चार खत लिखे । सुनमें मातमके तीन पत्र थे या फिर दो पत्र और दो तार थे! यों तो क्या अक भी घड़ी जैसी ५-७-३२ होगी, जब मौत न होती हो। जिस समय ये पंक्तियाँ लिखी जा रही है, शुस समय कितनी ही मौत हो रही होंगी। In the midst of life we are in death-जीवनके बीच हम मृत्युमें ही हैं -जेम्स बेरीका यह वाक्य भिस अर्थमें सच है। मगर हमें तो मृत्युकी अटलताका ज्ञान तभी होता है, जब हमारे पास अन लोगोंकी मोतकी खबर आती है, जो हमारे परिचित हैं या जिन्हें हम अपने मानते हैं । वेदोंमें आत्माको अक साथ मृत्यु और अमृत दोनों कहा है। असमें भी अिसी बातकी प्रतीति होती है | भाभी परमानंदकी स्त्रीके मरने पर अन्हें और सरलादेवीकी माताजीकी मृत्यु पर अन्हें, पत्र लिखे और राजगोपालाचार्य के जवाीके मरने पर झुनकी लड़कीको और राजाजीको तार दिये । रातको सोनेसे पहले कहने लगे. लड़कीकी अम्र कितनी है ?" मैंने कहा ." पच्चीस होगी ।" बापू कहने लगे "अिसकी शादी फिर क्यों न करायी जाय ?" जहाँ पुरुषके लिओ बापू यह कहते हैं कि दुवारा शादीका विचार न करे तो अच्छा; वहाँ स्त्रियों के लिओ वापूको तुरन्त यह सुझता है, यह वापूकी स्त्रियोंके प्रति तीव्र भावनाका परिणाम है। वल्लभभाभी कहने लगे यह क्या थोड़ा है कि राजगोपालाचारीने देवदास और लक्ष्मीका विवाह करा दिया ? यह दूसरा कदम झुठानेकी सुनकी हिम्मत नहीं होगी।" बापू यह बात तो है नहीं कि सुनका विधवा विवाहमें विश्वास न हो।" वल्लभभाभी “मिस लड़कीकी भी अिच्छा नहीं होगी। बापू मिस जमानेकी लड़कियों के बारेमें औसा तो कुछ नहीं कहा जा सकता।" देवदासको अिस मृत्युके बारेमें लिखा "राजाजीको चोट लगेगी । मगर सुनकी सहनशक्ति बहुत बड़ी है, अिसलिओ कोमी चिन्ता नहीं होती । मौतके रूपमें मौतका असर मुझ पर भी थोड़ा ही होता है । जो कुछ होता है वह “ - > 1