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पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/३०५

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का अर्थ अधिकसे अधिक विशाल करना चाहिये । ४०० नम्वरका सूत पहननेके कामका नहीं हो सकता, मगर चारसौ नम्बरके सूत तक पहुँचने में जो जो परिश्रम करना पड़ता है, कताी शास्त्रकी जो जो गुत्थियाँ सुलझानी पड़ती हैं और जो जो रहस्य खुलते हैं, वे दरिद्रनारायणके लिओ फायदेमन्द जरूर हैं। पहननेके लिओ भी झुपयोग हो सकता है । २० नम्बरका खयाल रखा या तब मुश्किलसे १० नम्बरका सूत कतता था। ४०० नम्बरकी दृष्टि रखेंगे तब ५०-६० तकका सहज कतने लगेगा । अिसलिओ कातनेकी कलाके विकासकी दृष्टिसे भी ४०० नम्बरका लक्ष्य रखना बहुत अपयोगी चीज है। भले ही हम ५०-६० या १०० नम्बरका सूत काममें न लें। सेवक तो अपने शरीरको ६ नम्वरके सतसे ढंक लेगा। लेकिन जब हम यह सिद्ध कर देंगे कि हम नाजुकसे नाजुक शरीरकी जरूरत पूरी कर सकते हैं, तभी कहा जायगा कि हमने दरिद्रनारायणकी सेवा की है। ४०० नम्बरके सूतके पीछे दरिद्रनारायणकी सेवाकी भूमिका (background) होनी ही चाहिये । और दरिद्रनारायणकी सेवामें ४०० नम्बर मिस्तेमाल करनेवालोंकी अपेक्षा नहीं की जा सकती । वेटिकनमें जिन बढ़िया तसवीरों और मूर्तियोंको देखकर मैं दंग रह गया था, वे क्या बताती हैं ? भले ही अन चित्रों और मूर्तियोंको देखनेके लिओ सबके पास ऑखि न हों, और विरलोंकी ही आत्मा अन्हें देखकर अछल सकती हो, मगर जिससे क्या? और जिसने ये मूर्तियाँ बनायी होंगी और चित्र तैयार किये होंगे, असने तो दरिद्रनारायणकी यानी मानवसमाजकी सेवाकी कल्पना रखी ही होगी। हाँ, किसी चित्रको देखकर मनमें बीभत्स विचार ही आते हों, तो मैं असे कला नहीं कहूँगा। जो अिन्सानको सदाचारमें अक कदम आगे बढ़ाये और असके आदर्श अँचे बनाये, वह कला है; असके सदाचारको गिराये, वह कला नहीं, बल्कि वीभत्सता है। आजकल आकाश- दर्शनकी किताबें पढ़ता हूँ। की खोजोंसे यह साबित हो चुका है कि सूर्यकी सूपरकी अक वर्ग गज जितनी जगहकी गरमी हमारी पृथ्वीको कायम रखनेके लिओ काफी है । अिस खोजका कोभी महत्व या अपयोग दिखायी न देता हो, मगर भिसका बेहद झुपयोग है । यह सूर्य पृथ्वीसे हजारों और लाखों कोस दूर है। वह अपने स्थान पर है और हम अपनी जगह हैं । अिसी तरह कपासके अक चीजकोपसे मीलों लम्बा तार निकाल कर बता दिया जाय, तो यह फताजी शास्त्रके लिओ अधिकसे अधिक झुपयोगी वस्तु होगी । " आश्रममें मैं जिस शिक्षाकी कल्पना कर रहा हूँ, वह बच्चोंकी स्वतंत्रताकी शिक्षा है। छोटेसे छोटे बच्चेको यह लगना चाहिये कि मैं भी कुछ हूँ। हमें देखना पड़ेगा कि असकी खास शक्ति किस बातमें है और अक बार जान लिया कि जिसमें सफल होगा, तो फिर असके लिओ तमाम साधन जुटा देंगे।. २८२ , 1