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पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/३१७

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/ be a matter of looking after herself (more here than in the West) are due to erroneous upbringings. Why should man be lazy as not to keep his house neat, if there is no woman looking after it or why should a woman feel that she always needs a man protector? This anomaly seems to me to be due to the habit of regarding woman as fit primarily for house keeping and of thinking that she must live so soft as to feel weak and be always in need of protection. We are trying to create a different atmosphere at the Ashram. It is difficult work. But it seems to be worth doing. "तुम लिखती हो कि स्त्रीकी सँभालके न होनेसे जमनालालजीका घर कैसा वीरान लगता है । मुझे सदा असा लगा है कि यह स्त्री और पुरुषके बीच कामके बँटवारेके बारेमें बहुत गलत विचारोंका फल है। कार्यविभाग जरूर होना चाहिये । मगर पुरुष पर घरकी संभालका भार आ पड़े तब वह लाचारी महसूस करे और असी ही हालत स्त्रीकी भी हो जाय जब असे स्वतन्त्र रहना पड़े (पश्चिमसे यहाँ यह ज्यादा होता है), तो यह गलत परवरिशका नतीजा है । जब घरमें स्त्री न हो तब पुरुषको जितना आलसी क्यों बनना चाहिये कि घरको सुघड़ और साफ सुथरा न रख सके ? अिसी तरह पुरुष- रक्षकके अभावमें स्त्रीको किस लि असहाय बन जाना चाहिये ? भिस अजीव चातका कारण मुझे तो यही लगता है कि हमें यह माननेकी आदत पड़ गयी है कि स्त्री खास तौर पर घरके कामके ही योग्य है, और असे अितना नाजुक रहना चाहिये कि असे हमेशा रक्षाकी जरूरत पड़े । हम आश्रममें दूसरा ही वातावरण पैदा करनेकी कोशिश कर रहे हैं। काम खूब कठिन है, मगर है करने लायक ही। अक बंगालीने लम्बा पत्र लिखकर भाषण दिया था कि ये लोग जो असह्य दुःख झुठा रहे हैं, अनकी जिम्मेदारी आप जैसे नेताओंके सिर है। असे वापूने लिखा: “I thank you for your letter. You know it is not open to me to argue about matters political. But I can heartily endorse your remark that all the leaders must bear the consequences of their actions." " आपके पत्रके लिये शुक्रिया। आप जानते हैं कि राजनीतिक मामलोंकी चर्चा में कर नहीं सकता । मगर आपका यह कहना मुझे मंजूर है कि अपने कामो परिणामकी जिम्मेदारी हर नेताके सिर जरूर है।" "