This explains, amongst other things the strengthening effect of prayer. "जिस भूमिका पर बहुत थोड़े पुरुष कभी भी पहुँचे होंगे, झुस भूमिका परसे यह स्त्री अपने आपका । नियंत्रण करती है। वह अपनी आत्माकी गहराीसे अपनी शक्तियोंका नियंत्रण करती है और यही अिस स्त्रीका महत्व है। वह अपनेसे ज्यादा बुद्धिशक्तिवाले मनुष्योंसे भी ज्यादा सिद्धि प्राप्त कर सकती है। कारण वह अपने आपका, अपनी शक्तियोंका, अपने विचारोंका, अपनी भावनाओंका और अपने संकल्पोंका पूरी तरह निरीक्षण कर सकती है । यह योगका प्रभाव है। योगसे अगर अितना हो सकता है, तो और ज्यादा भी हो सकता है । पूर्णताको पहुँचनेके लिझे यह अत्तम साधन है। योगाभ्याससे अितना लाभ हो सकता है कि मुझे आश्चर्य है कि शिक्षा संस्थाओंमें अभी तक यह विषय पढ़ाभीमें क्यों नहीं रखा गया । जीवनमें सारे बलोंकी शक्ति बढ़ानेके लिओ बेशक सुनकी अकाग्रता बढ़ानी चाहिये । अकाग्रता सारी प्रगतिका शास्त्रीय आधार है। योगाभ्यासका दूसरा महत्व यह है कि वह चित्तको हर कहीं भटकनेसे रोकता है । किसी भी फजूल कामसे शक्ति बर्बाद होती है । सभी शक्तिशाली मनुष्योंका मुख्य लक्षण यह देखा जाता है कि वे चंचल नहीं होते । वे अपनी अिच्छासे मनको किसी भी काममेंसे खींच सकते हैं और किसी भी काममें लगा सकते हैं । कमजोर मनवालोंसे मजबूत दिलवाले आदमी अक ही सवाल पर ज्यादा सतत ध्यान दे सकते हैं . | थोड़ा भी समय नियमित रूपसे ध्यानमें लगाया जाना हमारे आन्तरिक विकासके लिअ अत्यन्त महत्वपूर्ण है । सुबह ही कुछ मिनट अकाग्रतासे ध्यान करना किसी काममें चित्त लगानेकी सरस्त तालीमसे भी ज्यादा फलदायक है । जिस पर यह भी समझमें आता है कि प्रार्थनासे मनोबल बढ़ता है । मगर सिद्धियोंका असने सख्त निषेध किया है और कहा है : . “Every diseased condition is an absolute evil. . The teachers of antiquity put down as an essential condition prior to accepting a pupil, that he should have perfect health, an irreproachable nervous system and a robust moral nature. ... The Yogi is essentially healthy, he is the unquestioned master of his nerves, he is always in equilibrium, and, normal in every way. The Indian Yogi is an enemy of' castigation, he 'never mortifies the flesh. " २९९
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