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पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/३२६

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नहीं झुठाया जा सकता । मगर वे केवल नैयायिक ही नहीं थे, अससे ज्यादा थे । अन्हें यह प्रवाहप्राप्त जैसा लगा कि अलग अलग साध्यके लिओ अलग अलग साधन जुटाने चाहिये । व्यवहारमें तो कोी भी आदमी द्वैतसे झूपर रह ही नहीं सकता । द्वैतको पूरी तरह स्वीकार किये बिना विचार करना, अिच्छा करना, प्रयत्न करना या कुछ भी करना मनुष्यके लिअ अशक्य है । तो फिर किस लिमे अससे अिनकार किया जाय ? वैसा करनेसे कुछ भी फर्क नहीं पड़ता। "तो क्या हिन्दुस्तानी सब मतोंका सार ग्रहण करनेवाले लोग हैं ? नहीं, नहीं, सो तो वे हरगिज नहीं हैं। बुद्धिवादियोंसे वे अलटे ही हैं । झुनकी खूबी यह है कि वे यह मान लेनेके वहममें फँसे हुझे नहीं हैं कि आध्यात्मिक सत्य किसी भी अक ही दर्शनमें पूरी तरह मूर्तिमन्त हो सकते हैं । वे जानते हैं कि परम सत्यका निर्णय किसी अक दृष्टिसे हो ही नहीं सकता । जो होना सम्भव हो तो भी वह अनेक दृष्टियोंसे ही होगा। अद्वैत और द्वैत अक दूसरेके विरोधी हैं, यह कहनेका अर्थ सिर्फ भितना ही है कि अंग्रेजी मापपद्धति और दशक मापपद्धति अक दूसरेकी विरोधी हैं।" ीसा और बुद्धके बारेमें कितना ही भाग बहुत सुन्दर लिखा गया है : "The reason for their significance is that the word in them did not remain the word, but became flesh; and tha is the utmost which can be attained. To appear wise nothing is needed but the actor's talent; to be wise in the ordinary sense, it only requires a prominent mind. Before a mai turns into a Buddha, the highest which he has recognized must have become the central propelling force of his whole life, must have gained the power of direct control over matter. 'सुनके महत्वका अक ही कारण है कि सुपदेशको वे सिर्फ जवान तक ही नहीं रखते, बल्कि आचरणमें लाते हैं। जिससे ज्यादा सिद्धि क्या हो सकती है ? शानी दीखनेके लिओ सिर्फ बुद्धिकी जरूरत है। मनुष्यमें बढ़ी चढ़ी बुद्धि हो, तो वह मामूली अर्थमें ज्ञानी माना जाता है। मगर बुद्ध बननेके लिझे ते जिस अचीसे झूची चीजके दर्शन किये हों झुसको सारे जीवनका मुख्य और प्रेरक बल बन जाना चाहिये । असमें स्थूल या जड़ वस्तुओं पर सीधा काय रखनेक शक्ति आ जानी चाहिये ।" अिस देशको ब्रह्मविद्या सीखनेके तरीकेके बारेमें : "The disciple is to sink himself, as it were, into the phrase (Tcha) until it has taken possession of his soul He has to reach a new level of consciousness." ""