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पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/३२७

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गुरुमंत्र जब तक अपनी आत्मा पर अधिकार नहीं कर लेता, तब तक शिष्यको अस गुरुमंत्रमें लीन हो जाना चाहिये । असे ज्ञानकी नयी ही भूमिका पर पहुँचना है। चीनका चित्र बढ़िया दिया है और चीनियोंकी खासियतें भी । चीनकी संस्कृति पर दो ग्रंथोंका बड़ा असर पड़ा है : The Book of Reverence and the Book of Rites. Reverence haft reverence before that which is above us, that which is below us, and that which is like us; indeed, reverence before everything which exists, appears to this outlook as · the very basis of all virtue and all wisdom. And that is reall what it is. One only does justice that which one takes absolutely seriously. For this reason politeness is not something essentially external, but the most elemental expression of morality. Whereas virtue and kindness may not be fairly demanded of every body, the formal accept- ance of another personality can be demanded. This gives its profound acceptance to courtesy," "धर्म या सदाचारका ग्रन्थ और विनय या शिष्टाचारका अन्य | धर्म या सदाचार : जो हमसे सूपर हैं, हमसे नीचे हैं और हमारे जैसे हैं, उन सबके लिओ पूज्यभाव । जो है अस सबके लिओ पूज्यभाव । अिस खयालसे पूज्यभाव तमाम सद्गुणों और तमाम ज्ञानका मूल आधार है । यही बात ठीक है । जिस चीजको हम आदरके साथ देखते हैं, असीके साथ न्याय कर सकते हैं । अिसलिओ सभ्यता या विनय मुख्यतः बाहरी चीज नहीं है, बल्कि नीतिकी जड़में रहनेवाली चीज है । हम हर आदमीसे सद्गुण और दयाकी आशा नहीं रख सकते, मगर सामनेवाले आदमीके प्रति आदर या असके व्यक्तित्वकी स्वीकृतिकी आशा तो सभीसे रखी जा सकती है। हर आदमीको सभ्य होना ही चाहिये, अिसका यह सबल कारण है 10 अिसीका नाम आदर है, यही सहिष्णुताकी जड़ है - यही चीज मैं बापूमें पग पग पर देखता हूँ और शायद ही दूसरे किसीमें देखता हूँ। “The Book of Rites, asserts that man can only become inwardly perfect if he expresses himself perfectly outwardly. This is the reason why the Chinaman has a fundamental sense of etiquette. The marvellous courtesy to be seen in China is the flower of confucianism." " शिष्टाचारका यह ग्रन्थ कहता है कि मनुष्यका बाहरी बर्ताव बिलकुल शुद्ध हो, तभी वह भीतरी पूर्णता प्राप्त कर सकता है। अिसीलिओ चीनियोंमें ३०४